देसी कार्ड भुगतान नेटवर्क रुपे ने कार्ड खंड में एक अच्छी खासी हिस्सेदारी पर कब्जा जमाया है जिसमें सरकार की वित्तीय समावेशन योजना का बड़ा योगदान है। केंद्र की जन धन योजना के तहत लोगों के खाते खोले गए और उन्हें रुपे डेबिट कार्ड जारी किए गए। रुपे की शुरुआत नौ वर्ष पहले हुई थी। लेकिन देश में आला उत्पाद समझे जाने वाले क्रेडिट कार्ड में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम है। जन धन योजना के तहत खोले खातों के लिए 10 मार्च तक करीब 30.85 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं।
देश में डिजिटल भुगतान के लिए एक छत्र निकाय के तौर पर कार्य कर रहे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) रुपे का परिचालन करता है। अब वह इसके क्रेडिट कार्ड कारोबार के आधार को बढ़ाकर इसका विस्तार करने पर विचार कर रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक रुपे के पास नवंबर 2020 तक 9,70,000 क्रेडिट कार्ड थे जो उसके कुल कार्डों का 0.15 फीसदी है। एनपीसीआई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी दिलीप अस्बे ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम क्रेडिट कार्ड खंड को बढ़ाने पर बहुत केंद्रित होकर काम कर रहे हैं क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों तक रुपे क्रेडिट कार्ड को पहुंचाने में एनपीसीआई की एक भूमिका है। हम एसबीआई काड्र्स, एचडीएफसी बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जैसे बड़े जारीकर्ताओं के साथ काम कर रहे हैं। हम शीघ्र ही बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ नजर आने जा रहे हैं और हम आईसीआईसीआई बैंक तथा एक्सिस बैंक के साथ जुडऩे की प्रक्रिया में हैं।’ फरवरी 2021 तक बाजार में सभी श्रेणियों में कुल मिलाकर 62.841 करोड़ रुपे कार्ड है जिनमें प्रिपेड, डेबिट, क्रेडिट और वाणिज्यिक कार्ड शामिल हैं। फिलहाल ये कार्ड 1,000 से अधिक बैंकों से जारी होते हैं।
देश के कार्ड बाजार में रुपे की हिस्सेदारी फिलहाल करीब 35 फीसदी है। लेकिन कुल जारी कार्ड के संदर्भ में बात करें तो रुपे की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर कुल जारी कार्ड के 60 फीसदी से अधिक हो गई है जो 2017 में 17 फीसदी रही थी। यह जानकारी 2010 से 2020 के बीच देश में भुगतान प्रणाली पर रिजर्व बैंक की बुकलेट से सामने आई है।
कार्ड के क्षेत्र में रुपे के प्राथमिक स्पर्धी वीजा, मास्टरकार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस हैं। इन तीनों का लंबा इतिहास रहा है और देश में डिजिटल पारितंत्र खड़ा करने में इनकी अहम भूमिका रही है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक देश में विगत दस वर्ष में वित्त वर्ष 2010-11 से वित्त वर्ष 2019-20 के बीच की अवधि में जारी किए गए डेबिट कार्डों की संख्या 22.78 करोड़ से बढ़कर 82.86 करोड़ हो गई। इसमें 30 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड थे जो मूल बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता धारकों को जारी किए गए। इसी दौरान जारी किए गए क्रेडिट कार्डों की संख्या भी 1.8 करोड़ से बढ़कर 5.77 करोड़ हो गई।
अब्से ने कहा, ‘इस सेगमेंट में किसी को अग्रणी स्थान पर काबिज होने के लिए उसे 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी आवश्यक लगती है। एनपीसीआई इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है।’