केंद्र सरकार द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में स्टेट बैक आफ सौराष्ट्र के प्रस्तावित विलय का लेकर कुछ अहम कानूनी पहलूओं पर विचार के बीच, एसबीआई अध्यक्ष ओपी भट्ट ने उम्मीद जताई है कि यह प्रकिया बगैर किसी रूकावट के पूरी हो जाएगी।
इसके बाद दूसरे सहयोगी बैंकों के विलय के बारे में सोचा जाएगा। भट्ट मध्यप्रदेश के इन्दौर जिले में स्टेट बैंक ऑफ इन्दौर की ग्रामीण शाखा नावदा पंथ में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना का उद्धाटन कर रहे थे।
उद्धाटन समारोह के दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा, स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र के एसबीआई में विलय के संबंध में हमारी ओर से सारी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी है। केंद्र सरकार अब इस विषय में कुछ अहम कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है। इसमें यह भी शामिल है कि क्या विलय के लिए संबंधित प्रावधानों में संशोधन करने की जरूरत है या अथवा नहीं।
भट्ट ने उम्मीद जताई कि विलय की यह प्रकिया बगैर किसी अड़चन के पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा, हमें अब इस सिलसिले में केंद्र की हरी झंडी का इंतजार है। भट्ट ने कहा कि स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र का एसबीआई में विलय होने के बाद दूसरे सहयोगी बैकों के विलय पर नए सिरे से विचार शुरू कर दिया जाएगा। एक सवाल के जवाब में भट्ट ने कहा, मेरे ख्याल में यह कहना सही नहीं होगा कि देश के बैंक तरलता (लिक्विडिटी)की कमी से जूझ रहे है।
लेकिन मै इतना जरूर कहूंगा कि इसकी हालत पहले के मुकाबले तंग जरूर है मगर इससे बैकों का कोई काम रूक रहा हो, ऐसी कोई बात नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक भी सारे हालात पर बराबर नजर बनाए हुए है। भट्ट ने निकट भविष्य में एसबीआई हाउसिंग लोन की ब्याज दरों में कटौती की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, मंहगाई दर आठ फीसदी से ऊपर चली गई है। कच्चे तेल के दाम उछाल पर है। तरलता के तंग होने की बात हम कर ही रहे है। लिहाजा में कैसे यह भरोसा दिला सकता हूं कि जल्द ही हमारे हाउसिंग लोन की ब्याज दरों में कमी की जाएगी। मुझे फिलहाल इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिखती है। इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष ओपी भट्ट ने केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना को किसानों की दशा सुधारने की दिशा में बेहद जरुरी कदम बताया है।