मैक्वेरी रिसर्च ने आज एक नोट जारी कर कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सह ब्रांड वाले कार्ड जारी करने वाले तंत्र पर कड़ाई की है। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने जारीकर्ता संस्था को लेनदेन के डेटा को अपने सह ब्रांड साझेदार के साथ साझा करने से रोक दिया है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक अब बड़ी वित्त कंपनियों और बजाज फिनसर्व जैसे गैर बैंकों को कार्ड जारी करने का लाइसेंस देने के लिए पहले से अधिक उदार रुख अपना सकता है। इसका मकसद इस खंड में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
रिजर्व बैंक ने प्रमुख निर्देश में कहा, ‘सह ब्रांड वाले साझेदार के पास सह ब्रांड वाले कार्ड के जरिये किए गए लेनदेनों से संबंधित जानकारी नहीं होगी।’
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘साझेदारी व्यवस्था के तहत सह-ब्रांडिंग वाले साझेदार संस्था की भूमिका कार्डों के विपणन/वितरण और कार्डधारक को पेश की जाने वाली वस्तुओं/सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने तक सीमित होगी।’ रिजर्व बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि एनबीएफसी को अपने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड जारी करने से पहले रिजर्व बैंक से मंजूरी लेनी होगी।
बैंक गैर-बैंकों, ई-कॉमर्स कंपनियों, फूड डिलीवरी ऐपों, विमानन कंपनियां आदि के साथ साझेदारी कर सह ब्रांड वाले क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं। उदाहरण के लिए सह ब्रांड वाले क्रेडिट कार्ड आदि जारी करने के लिए आईसीआईसीआई बैंक ने एमेजॉन के साथ, एक्सिस बैंक ने फ्लिपकार्ट, आरबीएल बैंक ने बजाज फिनसर्व के साथ साझेदारी की हुई है।
मैक्वेरी रिसर्च ने अपने नोट में कहा, ‘चूंकि डेटा साझा करने पर अब रोक लगी हुई है ऐसे में इसका मतलब हुआ कि रिजर्व बैंक अब एक उदार क्रेडिट कार्ड लाइसेंस व्यवस्था के लिए अधिक उदार रुख दिखाएगा।’ इसके अलावा रिसर्च नोट में कहा गया है कि कार्ड जारी होने के 30 दिन के भीतर कार्ड को चालू करनेअन्यथा इसके रद्द हो जाने के रिजर्व बैंक के नए नियम से कुछ चुनौतियां उभर सकती हैं। इसकी वजह है कि अधिकांश मामलों में क्रेडिट कार्ड 30 दिनों से काफी दिन बाद चालू होता है।
