बैंक भले ही रियल एस्टेट को कम से कम कर्ज देने का राग अलाप रहें हो लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़े कुछ दूसरी कहानी बयां करते हैं।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार इस साल 27 फरवरी तक साल-दर-साल के हिसाब से रियल एस्टेट को दिए जाने वाले कर्जों में 61 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि 34,533 करोड रुपये अभी भी बकाया हैं।
पिछले साल की समान अवधि के दौरान कर्ज आवंटन की रफ्तार 26.7 फीसदी थी। फरवरी 2009 तक एक साल की अवधि के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा रियल एस्टेट क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज में 79.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
इधर विदेशी बैंक भी कर्ज देने में पीछे नहीं रहे हैं और 27 फरवरी 2009 तक की 12 महीने की अवधि के दौरान इन बैंकों द्वारा रियल एस्टेट को दिए जाने वाले कर्ज में 41 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इसमें 36 फीसदी तक की कमी आई थी।
हालांकि सरकारी बैंकों की तुलना में विदेशी बैंकों का पूंजी आधार उतना मजबूत नहीं हैं, उस लिहाज से कर्ज आवंटन में 40 फीसदी की तेजी काफी मायने रखती है। ठीक इसी समय बैंकिंग क्षेत्रों से आने वाले ऋणों में गिरावट देखी गई है और यह 12 फीसदी से गिरकर 7.5 फीसदी रह गया।
लेकिन बैंक अधिकारियों का कहना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में कर्ज में बढ़ोतरी अक्टूबर 2008 पहले की है। इस बाबत भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी ने बताया ‘रियल एस्टेट क्षेत्र को दिया गए अधिकांश ऋण अक्टूबर 2009 से पहले के हैं जिसके बाद से वैश्विक वित्तीय संकट ने पूरी वित्तीय प्रणाली को झकझोर कर रख दिया।’
इसी तरह एक विदेशी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रियल एस्टेट को मिले कर्ज में जिस तेजी की बात कही जा रही है वह इस क्षेत्र के बुरे दौर में फंसने से पहले के हैं। इस अधिकारी ने कहा ‘मुझे नहीं लगता कि कर्ज आवंटन की दर में इस साल भी तेजी बनी रहेगी क्योंकि रियल एस्टेट डेवलपरों ने भी अपनी परियोजनाओं में होने वाले खर्च में काफी कमी की है। ‘
उल्लेखनीय है कि वैश्विक संकट का असर रिलय एस्टेट क्षेत्र पर इस कदर पड़ा कि डेवलपरों को पूंजी की कमी और घरों की बिक्री में एकाएक आई गिरावट से परेशान होकर अपनी कई परियोजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर होना पड़ा।
