भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने अधिशेष से केंद्र सरकार को जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक के नौ महीनों के लिए 99,122 करोड़ रुपये लाभांश देगा। आरबीआई ने आज एक बयान में यह बताया। लाभांश के तौर पर मिलने वाली यह राशि सरकार की उम्मीद से भी ज्यादा है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आरबीआई से अधिशेष के तौर पर 53,511 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था।
बैंकिंग नियामक के केंद्रीय बोर्ड की आज हुई बैठक में लाभांश हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बोर्ड ने आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट को भी मंजूरी दे दी।
आरबीआई ने अपना लेखा वर्ष बदल लिया है और चालू वित्त वर्ष से यह अप्रैल से शुरू होगा और मार्च में खत्म होगा। इससे पहले तक लेखा वर्ष जुलाई से जून तक रहता था। इसका मतलब हुआ कि केवल 9 महीने में ही सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे, जो हैरत की बात है। मगर खजाने पर दबाव से जूझ रही सरकार को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘आरबीआई से सरकार को मिलने वाली लाभांश अधिशेष राशि अनुमान से काफी ज्यादा है। इससे अप्रत्यक्ष कर राजस्व में कमी की भरपाई में मदद मिलेगी क्योंकि अनुमान लगाया जा रहा है कि स्थानीय लॉकडाउन की वजह से मई-जून 2021 में कर संग्रह में कमी आ सकती है।’ मांग में कमी के कारण प्रत्यक्ष कर संग्रह भी इस साल कम रह सकता है। आरबीआई केंद्र को इतनी बड़ी राशि किस तरह दे पा रहा है, इसका पता वार्षिक रिपोर्ट सामने आने के बाद चलेगा, लेकिन अधिशेष देते समय आरबीआई की आर्थिक पूंजी बरकरार रखने के जालान समिति के नियमों का ध्यान रखा गया है।
समिति ने सिफारिश की थी कि आरबीआई को हर समय अपनी बैलेंस शीट का 5.50 फीसदी न्यूनतम आपात जोखिम बफर रखना चाहिए।
ऑब्जर्वेटरी ग्रुप में भारत के वरिष्ठ विश्लेषक अनंत नारायण ने कहा, ‘लगता है कि आरबीआई को विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन से कुछ लाभ हुआ है।’
जालान समिति की सिफारिशों के बाद वित्त वर्ष 2018-19 से आरबीआई ने मूल्यांकन नीति में बदलाव किया है। आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर में होता है। नारायण ने कहा कि पिछले साल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार डॉलर की औसत होल्डिंग लागत का भारांश करीब 55.70 रुपये था। अब अगर आरबीआई डॉलर को मौजूदा भाव यानी 72-73रुपये पर बेचता है तो वह अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
आरबीआई पहले ऐसा करता रहा है। इस साल जनवरी और फरवरी में आरबीआई की विदेशी मुद्रा की सकल बिक्री काफी ज्यादा रही है। इस हफ्ते की शुरुआत में आरबीआई की मई बुलेटिन के अनुसार इस साल मार्च में आरबीआई ने शुद्घ 5.7 अरब डॉलर की बिकवाली की है।
जुलाई 2020 से मार्च 2021 के दौरान आरबीआई ने रिकॉर्ड 85.2 अरब डॉलर बेचे और 140.5 अरब डॉलर खरीदे। नारायण ने कहा कि आरबीआई डॉलर की बिक्री को खरीद से अलग रखता है, ऐसे में उसे मुनाफावसूली करने की आजादी है। संभव है कि इसी मुनाफे से वह सरकार को अच्छा लाभांश दे रहा हो। पिछले साल आरबीआई ने खुले बाजार से 3 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे, जिन पर उसने सरकार से अच्छा-खासा ब्याज कमाया होगा। इन्हीं सब वजहों से वह सरकार को ज्यादा लाभांश दे रहा है।
पिछले साल आरबीआई ने लेखा वर्ष 2019-20 के लिए केंद्र को 57,128 करोड़ रुपये अधिशेष हस्तांतरित किया था। इससे पहले आरबीआई ने रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए थे, जिनमें 1.23 लाख करोड़ रुपये लाभांश मद के थे और 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान से जुटाए गए थे।
