भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार ने एक बार फिर 10 वर्षीय नया बॉन्ड जारी किया है क्योंकि पुराने में बकाया एक लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया है। एक कैलेंडर वर्ष में यह तीसरा बेंचमार्क 10 वर्षीय बॉन्ड है और सरकार की तरफ से जारी होने वाले बॉन्ड के वॉल्यूम का संकेत देता है। बॉन्ड की खासी संख्या होने के बाद भी नए बॉन्ड क्यों जारी किए गए, इसकी वजह यह है कि इससे परिपक्वता के समय एक साथ भुगतान को टालने में मदद मिली है।
10 वर्षीय बॉन्ड बाजार में सबसे अच्छा बॉन्ड है। ऐसे बॉन्ड के लगातार जारी होने से निवेशकों के बीच इसकी वैल्यू कुछ कम हो जाती है। बॉन्ड डीलरों के मुताबिक, त्वरित गति से बेंचमार्क की सेटिंग से दरों पर बाजारों में कुछ भ्रम पैदा हो सकता है। जब बकाया 1.2 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया हो तो लोग मौजूदा बॉन्ड में पोजीशन शायद नहीं लेंगे क्योंंकि उन्हें इश्यू के बंद होने का डर होगा। इससे प्रतिफल में इजाफा होगा।
एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) बद्रीश कुलहल्ली ने कहा, आरबीआई सामान्य तौर पर बॉन्ड जारी करना बंद करता है जब कुल बकाया करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाता है। इस साल सरकार की बढ़ी हुई उधारी को देखते हुए हमने इस साल तीसरा 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड जारी होते देखा। 10 वर्षीय बेंचमार्क में जल्दी-जल्दी बदलाव से पहले के 10 वर्षीय बेंचमार्क के प्रीमियम में गिरावट आई है।
सरकार ने शुक्रवार को नए 10 वर्षीय बॉन्ड से 5.85 फीसदी की दर पर 8,000 करोड़ रुपये जुटाए। नया बॉन्ड शुक्रवार की 28,000 करोड़ रुपये की बॉन्ड नीलामी का हिस्सा था। सबसे ज्यादा ट्रेडिंग वाले 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 5.91 फीसदी पर बंद हुआ जबकि जीडीपी के आंकड़े दूसरी तिमाही में कमजोर रहे।
नए बॉन्ड की दर पहले के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है। पहला 10 वर्षीय बॉन्ड इस साल 11 मई को 5.79 फीसदी की दर पर जारी हुआ था। सरकार ने इस बॉन्ड से 1.116 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। दूसरा बॉन्ड 3 अगस्त को जारी हुआ और सरकार ने 1.23 लाख करोड़ रुपये जुटाए।
हर बेंचमार्क बॉन्ड मोटे तौर पर तीन महीने के अंतराल पर जारी हो रहा है लिहाजा इस कैलेंडर वर्ष में नया बेंचमार्क अब शायद जारी नहीं होगा। लेकिन अगले साल यह बॉन्ड आ सकता है यानी इसी वित्त वर्ष में।
सरकार का 12 लाख करोड़ रुपये का उधारी कार्यक्रम 10 वर्षीय निचले प्रतिफल पर चला।
