सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से कॉरपोरेट खातों के लिए घोषित कर्ज पुनर्गठन मानक वित्तीय क्षेत्र के लिए अनुकूल होंगे क्योंकि इससे मजबूत वित्तीय स्थिति वाली कंपनियोंं को सहारा मिलेगा।
बैंक के अधिकारियों ने कहा कि आरबीआई की तरफ से घोषित वित्तीय मानक मौजूदा समय के मानकों के मुकाबले नरम हैं, जिसका अनुपालन लेनदार कर्ज पुनर्गठन के समय करते हैं।
एक बड़े सरकारी बैंक के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘आरबीआई ने ऋण पुनर्गठन के लिए उधारकर्ताओं को राहत देते हुए विभिन्न अनुपातों में रियायत देने की घोषणा की है। सामान्य परिस्थितियों में इसकी सीमा अधिक होती है। कुल मिलाकर ये सिफारिशें अच्छी हैं और ये कोविड-19 वैश्विक महामारी के झटके से प्रभावित खातों के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगी।’
कार्याधिकारी ने कहा कि सामान्य परिस्थिति में पुनर्गठन खातों के लिए मौज्ूदा अनुपात को 1.33 फीसदी पर रखा जाता है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी फर्म की परिसंपत्ति 100 रुपये है तो उसकी देनदारी 75 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन आरबीआई ने मौजूदा अनुपात को 1 फीसदी पर बरकरार रखा है यानी देनदारी परिसंपत्ति के बराबर होनी चाहिए। इसी प्रकार ऋण बनाम इक्विटी अनुपात को आमतौर पर 3 अनुपात में रखा जाता है लेकिन आरबीआई ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि दबावग्रस्त क्षेत्र की 26 कंपनियों में से 15 के लिए इसे अधिक रखा जाए क्योंकि उनकी बाहरी देनदारी अधिक हो सकती है।
हालांकि बैंक के अधिकारियों को महसूस हो रहा है कि योजनाओं की सफलता इन अनुमानों पर निर्भर करेगा कि कंपनियां आर्थिक सुधार सुनिश्चित करेंगी। एक सरकारी बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘सबकुछ मान्यता पर निर्भर करेगा। मान लें कि एयरलाइंस हमें बताए कि दिसंबर तक काफी बड़ी संख्या में यात्री आएंगे, लेकिन बीमारी के कारण पैदा हुई अनिश्चितता से ऐसा नहीं भी हो सकता है। ऐसे में मान्यता ठोस होनी चाहिए। ऐसा ही मामला होटल उद्योग के साथ होगा।’
बैंक अधिकारी ने कहा कि कुछ क्षेत्रों मसलन टोल रोड प्रोजेक्ट में नकदी प्रवाह का परिदृश्य स्पष्ट हो गया है, ऐसा में वहां पुनर्गठन में मुश्किल नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘हम ग्राहकों को प्रश्नावली देंगे और उनसे कारोबार में सुधार की समयसारणी देने को कहेंगे। ये आंकड़े रेटिंग एजेंसियों के सामने रखे जाएंगे और तब बैंकर इस पर फैसला लेंगे।’
अधिकारी ने कहा कि आरबीआई ने अनुपातों को निर्धारित करते हुए बैंकों को ‘पर्याप्त राहत’ दी है जो यह सुनिश्चित करेगा कि वैश्विक महामारी से प्रभावित अच्छी एवं मजबूत कंपनियां ऋण पुनर्गठन की इस विशेष योजना का फायदा उठा सकेंगी।
एक मझोले आकार के सरकारी बैंक के एमडी एवं सीईओ ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘कंपनियों के अनुपालन के लिए आवश्यक वित्तीय अनुपातों का निर्धारण व्यावहारिक और सही है जो अच्छी वित्तीय योजना तैयार करने के लिए आवश्यक होते हैं। नकदी प्रवाह के मोर्चे पर अच्छी कंपनियों के प्रति आरबीआई का झुकाव भविष्य में बैंकों द्वारा किसी प्रकार की परिसंपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा से बचने के लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण है।’
