बीएस बातचीत
1 अप्रैल, 2020 से इलाहाबाद बैंक का चेन्नई स्थित इंडियन बैंक के साथ विलय हो गया है। इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पद्मजा चुंदरू ने टीई नरसिम्हन को बताया कि इस एकीकृत इकाई द्वारा बहीखाते को बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने और लाभप्रदता में वृद्धि के संबंध में किस तरह से ध्यान दिया जा रहा है।
पांच महीने से ज्यादा हो गए हैं, एकीकरण की प्रक्रिया कैसी चल रही है?
कोषागार का परिचालन पूरी तरह से एकीकृत किया जा चुका है। इस एकीकृत इकाई के ग्राहकों को एक समान उत्पाद, ब्याज दरें और सेवा शुल्क उपलब्ध कराए गए हैं। दोनों बैंकों की किसी भी शाखा से गैर-आर्थिक लेनदेन और बुनियादी आर्थिक लेनदेन करने की खातिर इन दोनों सीबीएस प्रणालियों को इंटरफेस प्रदान करने के लिए एक कॉमन गेटवे सॉफ्टवेयर (को-एक्स) का उपयोग किया जा रहा है। एसएपी में एचआर के डेटा का एकीकरण पूरा हो चुका है। सीबीएस के एकीकरण का काम जोरों पर है।
इस वित्त वर्ष में जिन 100 शाखाओं के विलय की योजना है, उनमें से 75 शाखाओं का विलय किया जा चुका है। इसके अलावा 25 आंचलिक कार्यालयों, छह दबावग्रस्त परिसंपत्ति प्रबंधन शाखाओं, दो सेवा शाखाओं, तीन बड़ी कॉरपोरेट शाखाओं, तीन करेंसी चेस्टों और दो कर्मचारी प्रशिक्षण केंद्रों की कार्यदक्षता का काम पूरा किया जा चुका है। बैंक ने 79 खुदरा एवं एमएसएमई प्रसंस्करण केंद्रों और 18 मिड कॉरपोरेट शाखाओं की भी शुरुआत कर दी है।
जिन कार्यकारियों और अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया था, उन्होंने तैनाती की अपनी नई जगहों पर जिम्मेदारियां संभाल ली हैं।
विश्वव्यापी महामारी के मद्देनजर यह काम कितना चुनौतीपूर्ण रहा?
लॉकडाउन के बाद यात्रा पर प्रतिबंध के रूप में बैंक को कुछ शुरुआती चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इस महामारी ने विस्तृत डिजिटलीकरण के लिए राह खोल दी है जिसमें आंतरिक और बाह्य मुलाकातें भी शामिल हैं। हम समय, यात्रा और अन्य प्रशासनिक लागत में बचत के तौर पर अच्छा-खासा फायदा देख सकते हैं।
इस विलय के बाद बाजार के दायरे में विस्तार कैसा रहा? क्या प्रदर्शन पर कोई असर पड़ा है?
महामारी की चुनौतियों के बावजूद पहली तिमाही के दौरान बैंक का प्रदर्शन काफी संतोषजनक रहा। सभी प्रमुख मापदंड – कारोबार, मुनाफा, परिसंपत्ति की गुणवत्ता और पूंजी की पर्याप्त मात्रा – अच्छे हैं।
इस विलय से एकीकृत इकाई के नेटवर्क की मौजूदगी देश भर में हो गई है जिसमें और ज्यादा विस्तार होने की संभावना है, विशेष रूप से उन उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में, जहां इस एकीकरण के बाद इंडियन बैंक की पैठ और कारोबार पहले ही दोगुना हो चुका है।
एकीकृत इकाई के लिए आगे और क्या है? इंडियन बैंक के लिए अगले तीन से पांच सालों का क्या लक्ष्य है?
जिन केंद्रों में बैंक की ज्यादा मौजूदगी नहीं है, वहां शाखाएं खोलने और ओवरलैपिंग शाखाओं का विलय करते हुए इस एकीकरण को मजबूत करने पर ध्यान रहेगा। इससे कर्मचारियों के पुनर्नियोजन के अलावा लागत कुशलता को बढ़ावा मिलेगा। बैंक को विभिन्न प्रक्रियाओं के केंद्रीकरण के लिए की गई विभिन्न शुरुआतों के स्थायी होने की भी उम्मीद है जिससे अग्रिम मोर्चे के कर्मचारियों को मौजूदा संबंधों को और गहरा करने तथा बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने/पाने के लिए नया कारोबार लाने पर ध्यान देने में मदद मिलेगी। बैंक का ध्यान आय बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता वृद्धि पर भी केंद्रित रहेगा।
वर्ष 2022 तक हमारा कारोबार मौजूदा लगभग 8.5-9 लाख करोड़ रुपये की तुलना में करीब 11 लाख करोड़ रुपये हो जाना चाहिए। हालांकि आकार के लिहाज से अभी हम सातवें स्थान पर हैं, लेकिन परिसंपत्ति की गुणवत्ता और लाभप्रदता के मामले में हम दूसरे या तीसरे स्थान पर हैं।
अपेक्षित10.875 प्रतिशत के मुकाबले बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात फिलहाल 13.45 प्रतिशत है। मौजूदा पूंजी के साथ अगले दो वर्षों तक बैंक की वृद्धि में कोई बाधा नहीं है।
पुनर्गठन की बात करें, तो खुदरा ऋण, एमएसएमई और कॉरपोरेट ऋण में कितने प्रस्ताव आए हैं?
पुनर्गठन के आवेदन धीमी गति से आ रहे हैं। फिलहाल हमें विभिन्न क्षेत्रों से करीब 3,800 करोड़ रुपये के ऋण के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं।