विश्लेषकों का मानना है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एनएआरसीएल), या ‘बैड बैंक’ का परिचालन जल्द शुरू करने की जो घोषणा की है, उसमें थोड़ी देरी हुई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कदम ‘संरचनात्मक रूप से सकारात्मक’ कदम है क्योंकि एनएआरसीएल में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के तेजी से समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फंसे कर्जों के मसले को पांच वर्षों के भीतर सुलटा दिया जाए।
वर्ष 2016 में क्रिस वुड सीएलएसए में तत्कालीन प्रबंध निदेशक और इक्विटी रणनीतिकार थे और उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को सभी फंसे कर्जों को एक बैड बैंक में डाल देना चाहिए और निवेशकों को उनके लिए बोली लगाने का मौका देना चाहिए। इसके अलावा, 17 सितंबर के नोट में कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषक एम बी महेश ने इस बात की ओर इशारा किया था कि परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) के तुरंत बाद या कर्ज फंसने का दबाव बनने की शुरुआत के वक्त ही बैड बैंक बनाना ज्यादा कारगर होता।
एनएआरसीएल चरणबद्ध तरीके से करीब 2 लाख करोड़ रुपये में फंसी परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करेगी और इन फंसे कर्जों को उधारदाताओं को 15 प्रतिशत नकद भुगतान करके स्थानांतरित किया जाएगा और शेष 85 प्रतिशत का भुगतान सिक्योरिटी रिसीट के माध्यम से किया जाएगा। एनएआरसीएल द्वारा जारी इन रिसीट को 30,600 करोड़ रुपये तक की सरकारी गारंटी दी जाएगी। बाजार पर नजर रखने वाले विश्लेषकों को उम्मीद है कि बैड बैंक, आगे बैंकों की बैलेंसशीट में सुधार कर सकता है और अग्रिम नकद भुगतान कर क्रमिक नकदी प्रवाह को बरकरार रख सकता है। हालांकि, समाधान में देरी होने से परिसंपत्ति के मूल्य में सेंध लग सकता है। जेफरीज के इक्विटी विश्लेषक प्रखर शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के तहत 40 मामलों में से इस्पात क्षेत्र के मामलों को निपटाया गया है और बैंकों के लिए बताई गई वैल्यू में कमी नगण्य रही लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल बिजली, ऑटो और उपभोक्ता क्षेत्रों में आ रही है जिसमें समाधान ढूंढना अभी बाकी है।
वह कहते हैं, ‘ऐतिहासिक रूप से, बैंक बट्टा खाते के ऋणों से लगभग 10 प्रतिशत वसूली की ही उम्मीद करते हैं और हमारा मानना है कि रिकवरी भी मोटे तौर पर इसी के अनुरूप हो सकती है।’ इसी तरह एसएमसी ग्लोबल के इक्विटी एनालिस्ट सिद्धार्थ पुरोहित कहते हैं कि तेज समाधान ही सफलता की कुंजी होगी।