बीएस बातचीत
इंडियन बैंक की मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रंबध निदेशक पद्मजा चुंदरू का कहना है कि कोरोना महामारी तथा दूसरी चुनौतियों के बावजूद, इंडियन बैंक के साथ इलाहाबाद बैंक का विलय पिछले माह सॉफ्टवेयर एकीकरण के साथ सुचारु रूप से संपन्न हुआ। चुंदरू ने टी ई नरसिम्हन को बताया कि बैंक ने महामारी का सामना कैसे किया और संयुक्त इकाई किस तरह से आगे बढ़ेगी। बातचीत के संपादित अंश:
विशेष तौर पर महामारी के चलते, यह विलय कितना आसान या कठिन रहा?
यह महसूस किया गया कि इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक के साथ विलय कठिन होगा (सरकार द्वारा घोषित दूसरे बैंकिंग विलयों के मुकाबले), क्योंकि इसमें दो मध्य-आकार के लेकिन लगभग समान आकार एवं 100 से ज्यादा वर्षों की विरासत एवं समृद्ध इतिहास वाले बैंकों का विलय होना था।
आकार के अलावा बैंकों की भौगोलिक अवस्थिति भी बिल्कुल अलग थी। इंडियन बैंक की मुख्य उपस्थिति दक्षिणी इलाकों में थी तो वहीं इलाहाबाद बैंक पूर्वी एवं मध्य क्षेत्रों में था। हालांकि भौगोलिक क्षेत्रों में थोड़ा बहुत ओवरलैप था। दोनों बैंकों के कर्मचारियों का सांस्कृतिक परिवेश, बोलचाल आदि एक दूसरे से मेल नहीं खाते थे जिसके कारण इसलिए कर्मियों के एकीकरण को बड़ी चुनौती माना गया।
एक तरफ विलय की प्रक्रिया जारी थी तो वहीं जनवरी 2020 से अगस्त 2020 की अवधि के दौरान 10 से अधिक महाप्रबंधक सेवानिवृत्ति के कगार पर थे, जिसके चलते नेतृत्व क्षमता की कमी होने वाली थी। इसके अलावा कोविड-19 महामारी और इसके विस्तार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण भी कई चुनौतियां आ खड़ी हुई थीं।
बैंक इन सभी समस्याओं का निष्पक्षता तथा पारदर्शिता के साथ समाधान करने में कामयाब रहा और कर्मचारियों एवं ग्राहकों के साथ निरंतर संवाद बना रहा।
हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि संपूर्ण एकीकरण प्रक्रिया का हमारे ग्राहकों और ग्राहक-संबंधी कार्यों पर कम से कम प्रभाव पड़े। बैंक विलय से पहले की सभी प्रक्रियाओं को पहले ही पूरा करने पर ध्यान दे रहा था, जिससे विलय को निर्बाध पूरा किया जा सके।
विलय के प्रमुख लाभ क्या रहे?
विकास की प्रक्रिया को लगातार चलाने के लिए लागत में कमी, बेहतर लाभप्रदता, व्यापक उत्पाद उपलब्ध कराना और तकनीक के उपयोग से बड़े पैमाने पर लाभ हुए। विशेष रूप से, आईटी हार्डवेयर, लाइसेंस तथा एएमसी में निवेश ने एक बड़ा धमाका किया।
बढ़े हुए सीएएसए के चलते बेहतर उत्पाद मूल्य निर्धारण हुआ एवं लाभप्रदता में वृद्धि के साथ ही लागत में कमी आई। तत्कालीन इलाहाबाद बैंक का भारतीय बैंक की तुलना में अधिक सीएएसए था। इससे नई इकाई का सकल सीएएसए बढ़ गया है। नई बैंक शाखाओं, एटीएम और बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स के नेटवर्क में वृद्धि के परिणामस्वरूप व्यापार में वृद्धि होगी। इंडियन बैंक की बाजार हिस्सेदारी जमा तथा अग्रिम में क्रमश: 1.79 प्रतिशत और 1.80 प्रतिशत थी। विलय के बाद, संयुक्त इकाई का हिस्सा क्रमश: 3.46 प्रतिशत और 3.47 प्रतिशत हो गया है। मार्च 2020 में कुल जमा अनुपात में सीएएसए की हिस्सेदारी 34.6 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2020 में 41 प्रतिशत हो गई। विलय के चलते सीएएसए में वृद्धि से जमा की लागत कम हो गई है। बैंक ने पहले ही 2020-21 में किराये, बिजली तथा अन्य प्रशासनिक लागत में बचत के साथ ही प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी, विज्ञापन तथा प्रचार, डाक, आदि में लगभग 22 करोड़ रुपये की बचत की है। विलय से ग्राहक आधार में भी बढ़ोतरी हुई है जिससे कारोबारी संभावनाओं में बढ़ोतरी होगी। राजकोष प्रबंधन में सुधार होगा तथा अधिशेष अचल संपत्तियों का युक्तियुक्त प्रबंधन होगा।
जहां तक आईटी लागत तालमेल की बात है, तो डीसी/डीआर केंद्रों, एएमसी, लाइसेंस, विक्रेताओं के युक्तिकरण के कारण साल 2020-21 में लगभग 145 करोड़ रुपये की बचत हुई है। खुदरा, कृषि एवं एमएसएमई प्रस्तावों के लिए सभी जोन के केंद्रों में प्रसंस्करण केंद्रों का संचालन हो रहा है।
कितनी शाखाओं का एकीकरण किया गया और कितने लोगों को बदला गया है?
आज की तारीख में बैंक ने 25 जोनल कार्यालयों, कोलकाता में इलाहाबाद बैंक के प्रधान कार्यालय, 12 करेंसी चेस्ट, 5 कर्मचारी प्रशिक्षण केंद्र, 5 सेवा शाखाओं और 3 बड़ी कॉर्पोरेट शाखाओं के अलावा 180 शाखाओं को पुनर्गठित किया है। हमने इस वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले अन्य 50 शाखाओं को पुनर्गठित बनाने की योजना बनाई है।
70 अन्य शाखाओं की पहचान की गई है, जिन्हें अगले 6-9 महीनों के दौरान पुनर्गठित किया जाएगा। लगभग 2,000 कर्मचारी सदस्यों को एक एकीकरण प्रक्रिया के तहत बदला जाएगा। 1 अप्रैल, 2020 के बाद से 94 कर्मचारियों ने वीआरएस का विकल्प चुना है।
विलय के बाद अब बैंक की क्या रणनीति है?
वित्त वर्ष 2021-22 में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि की परिकल्पना की गई है। खुदरा, कृषि और एमएसएमई क्षेत्र पहले से ही कुल अग्रिम का 56 प्रतिशत है। इनके साथ साथ कारोबारी क्षेत्र भी आगे बढ़ेगा। साल 2024-25 तक, हम अपने शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) को 3.21 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहते हैं और शुद्ध एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) को घटाकर 1.31 प्रतिशत करना चाहते हैं। वर्तमान में, वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही के अनुसार एनआईएम 3.13 प्रतिशत था तो वहीं दिसंबर 2020 तक एनपीए 2.35 प्रतिशत था। दिसंबर 2020 तक बैंक का सीआरएआर (कैपिटल-टू-रिस्क वेटेड एसेट्स या पूंजीगत पर्याप्तता अनुपात) 14.06 प्रतिशत है, जो नियामकीय आवश्यकता से अधिक है। हमने दिसंबर 2020 में 2,000 करोड़ रुपये के एटी-1 बॉन्ड जारी किए और जनवरी 2021 में 2,000 करोड़ रुपये के टीयर 2 बॉन्ड्स लाए हैं। क्यूआईपी / एफपीओ / राइट्स इश्यू के जरिए 4,000 करोड़ रुपये तक की इक्विटी कैपिटल जुटाने के लिए बोर्ड की मंजूरी भी उपलब्ध है।