शोध कंपनी लोकलसर्कल्स के मुताबिक, एक सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक प्रतिभागियों (54 फीसदी) ने कहा कि वे नहीं चाहते कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को वैधता दे। उनका कहना है कि इन पर विदेश में रखी गई डिजिटल परिसंपत्ति की तरह ही कर लगाया जाए। पिछले 15 दिनों में 342 जिलों में कराए गए सर्वेक्षण में 29,352 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिससे पता चलता है कि जवाब देने वाले 71 फीसदी लोगों का क्रिप्टोकरेंसी में कम या बिल्कुल भी भरोसा नहीं था।
क्रिप्टोकरेंसी एवं विनियमन डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाना है। विधेयक में भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की भी बात है। हालांकि, लोकसभा बुलेटिन के अनुसार यह विधेयक क्रिप्टोकरेंसी की अंतर्निहित तकनीक और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों की अनुमति देता है।
जवाब देने वाले 51 प्रतिशत लोग इस बात का समर्थन करते हैं कि भारत को अपनी डिजिटल मुद्रा/क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत करनी चाहिए जिसका प्रबंधन आरबीआई द्वारा किया जाए जबकि 26 प्रतिशत इसके खिलाफ हैं। हाल ही में टी-20 क्रिकेट विश्व कप के दौरान, तीन विज्ञापनों में से एक क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा था और मंच तथा एक्सचेंज दर्शकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे। इस लिहाज से देखा जाए तो 74 प्रतिशत लोगों का मानना था कि क्रिप्टोकरेंसी विज्ञापन प्रभावी तरीके से इसके जोखिमों को उजागर नहीं कर रहे हैं।
अगले सवाल में लोगों से पूछा गया कि वे इसमें शामिल जोखिमों को उजागर करने में हाल के क्रिप्टोकरेंसी विज्ञापनों को कितना प्रभावी पाते हैं तो इसके जवाब में, 52 फीसदी लोगों ने कहा कि ये विज्ञापन बिल्कुल प्रभावी नहीं थे। वहीं 22 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ये विज्ञापन असरदार नहीं हैं जबकि 6 प्रतिशत ने कहा ‘कुछ प्रभावी’ थे। केवल 5 प्रतिशत नागरिकों का मानना था कि क्रिप्टोकरेंसी विज्ञापन इसमें शामिल जोखिमों को प्रभावी ढंग से उजागर कर रहे हैं जबकि 15 प्रतिशत की इसको लेकर कोई राय नहीं थी। सर्वेक्षण के अनुसार, केवल 5 प्रतिशत लोग ही क्रिप्टोकरेंसी मंच के विज्ञापनों को जारी रखने के पक्ष में हैं जबकि 76 प्रतिशत चाहते हैं कि नियमन के तैयार होने तक विज्ञापन स्थगित रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते भारत में क्रिप्टोकरेंसी और उनके भविष्य से संबंधित एक बैठक की अध्यक्षता की थी जहां इस बात पर आम सहमति जताई गई थी कि क्रिप्टो मंच देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं और उनके गैर-पारदर्शी विज्ञापनों को रोका जाना चाहिए।
