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नकदी की व्यवस्था देर से उठा अच्छा कदम

Last Updated- December 12, 2022 | 5:06 AM IST

भारत के स्वास्थ्य उद्योग ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के लिक्विडिटी विंडो का स्वागत किया है, लेकिन कुछ को लगता है कि इससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा।  कुछ कंपनियों का कहना है कि उधारी लेने को लेकर उनका विकल्प खुला है, वहीं अन्य का कहना है कि उनकी कार्यशील पूंजी का चक्र ठीक-ठाक है।  रिजर्व बैंक ने बुधवार को 50,000 करोजड रुपये की लिक्विडिटी विंडो खोली है। योजना के मुताबिक बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा ऋण 31 मार्च 2022 तक दिए जाएंगे, जिन्हें 3 साल में वापस किया जा सकता है। यह नकदी कोविड संबंधी स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा और सेवाओं को मजबूत करने के लिए दी जाएगी। 
 
टीका उद्योग के लिए यह बड़ी राहत है, जो अपनी क्षमता बढ़ाने व भारत की 1.4 अरब आबादी के लिए टीके की पर्याप्त आपूर्ति के लिए संघर्ष कर रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्याधिकारी अडार पूनावाला ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने बड़ी मात्रा में टीके के  उत्पादन के लिए अप्रैल में 1,500 करोड़ रुपये उधारी ली है। एसआईआई ने सरकार से भी कोवीशील्ड टीके का नया संयंत्र लगाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये की मांग की थी। केंद्र ने एसआईआई को टीके की आपूर्ति के लिए 3,000 करोड़ रुपये सप्लायर क्रेडिट की मंजूरी दी थी। 
 
पूनावाला ने बुधवार के रिजर्व बैंक के फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। भारत बायोटेक, जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स और डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज ने भी इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी।  क्रिसिल ने हाल में एक बयान में कहा है कि पुणे की जेनोवा, जो एम-आरएनए कोविड टीका बना रही है, ने विस्तार के लिए 250 करोड़ रुपये लगाने की योजना बनाई है, जिसमें से 70 करोड़ रुपये सरकारी अनुदान से, 135 करोड़ रुपये कर्ज से और शेष आंतरिक स्रोतों से आएंगे।  क्रिसिल रिसर्च के निदेशक राहुल पृथियानी ने कहा कि बड़े लाभार्थी दवा विनिर्माता, अस्पताल और डायग्नोस्टिक कारोबारी होंगे। 
 
मणिपाल समूह जैसे अस्पताल कारोबारियों का कहना है कि यह कदम उत्साह बढ़ाने वाला है। मणिपाल हॉस्पिटल्स के एमडी और सीईओ दिलीप जोसे ने कहा, ‘कुल मिलाकर स्वास्थ्य सेवा में सुधार के हिसाब से यह महामारी के बाद भी अहम होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमने पहले ही निवेश किया है, लेकिन आईसीयू और महंगे बुनियादी ढांचे के लिए और धन की जरूरत पड़ सकती है।’  कुछ मेडिकल उपकरणों के विनिर्माताओं का कहना है कि इस कदम का कोई खास मतलब नहीं बनता है। स्कैनरे और मैक्स जैसे वेंटिलेटर विनिर्माताओं का कहना है कि यह नई पूंजी की जरूरतों या कार्यशील पूंजी जरूरतों के हिसाब से बहुत लाभदायक नहीं होगा। 
 
स्कैनरे टेक्नोलॉजिज के संस्थापक अल्वा वी ने कहा, ‘नकदी दिया जाना कार्यशील पूंजी के हिसाब से मेड-टेक कंपनियों के लिए बहुत फायदेमंद है। पहले की लहर के दौरान तमाम कंपनियां कार्यशील पूंजी नहीं पा सकी थीं।’  बहरहाल मैक्स वेंटिलेटर के संस्थापक और एमडी अशोक पटेल के मुताबिक नकदी दिए जाने का तभी कोई मतलब बनता है, जब वेंटिलेटर के खरीदार जैसे अस्पतालों को भी प्रोत्साहन  दिया जाए। 

First Published - May 7, 2021 | 3:59 PM IST

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