प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
कई अकाउंटिंग चूकों से जूझ रहे निजी क्षेत्र के ऋणदाता इंडसइंड बैंक को वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही में शुद्ध नुकसान होने की संभावना है। उसके डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में मिली खामियों के कारण उसके लाभ-हानि खाते पर 2,000 करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान है। बैंक (21 मई) को अपनी चौथी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष 2025 की आय के आंकड़े घोषित करेगा।
ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल 12 विश्लेषकों के सर्वसम्मत अनुमान के अनुसार बैंक को वित्त चौथी तिमाही में 200 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, माइक्रोफाइनैंस व्यवसाय सहित अकाउंटिंग की कई गड़बड़ियों की वजह से बैंक के शुद्ध ब्याज मार्जिन में तेज गिरावट की आशंका है। 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त तिमाही में बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) 3.93 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में बैंक के माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो में चूक के कारण प्रावधान खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई। इससे उसका शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 39 फीसदी घटकर 1,402 करोड़ रुपये रह गया। वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में बैंक का शुद्ध लाभ 2,349 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2025 के 9 महीनों में अब तक बैंक का शुद्ध लाभ 4,904 करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2024 के पहले 9 महीनों के 6,628 करोड़ रुपये की तुलना में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत कम है।
इनक्रेड इक्विटीज ने एक नोट में कहा, ‘डेरिवेटिव एक्सपोजर के असर की भरपाई आंशिक रूप से ब्याज आय और बाकी के असर की ट्रेडिंग लाभ से की जाएगी। एमएफआई व्यवसाय में गलत तरीके से दर्ज ब्याज आय के हालिया खुलासे से टैक्स के बाद नेट वर्थ पर नकारात्मक प्रभाव 2.35 प्रतिशत से बढ़कर 3.1 प्रतिशत हो गया है।’
बैंक ने मार्च में एक्सचेंजों को बताया था कि एक आंतरिक समीक्षा में उसे अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियां मिली हैं जिसका दिसंबर 2024 तक उसके नेट वर्थ पर 2.35 प्रतिशत का विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, उसने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में नुकसान के आकलन की समीक्षा के लिए पीडब्ल्यूसी (पीडब्ल्यूसी) को नियुक्त किया।
पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर, बैंक ने कहा कि विसंगतियों का दिसंबर 2024 तक उसके नेट वर्थ पर 2.27 प्रतिशत का प्रतिकूल टैक्स-पश्चात प्रभाव पड़ेगा।