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15 सितंबर तक लागू करें कर्ज पुनर्गठन योजना

Last Updated- December 15, 2022 | 2:39 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज एक बैठक में बैंकों से कहा है कि कोविड महामारी से प्रभावित कारोबारी इकाइयों की मदद के लिए कर्ज पुनर्गठन योजना को 15 सितंबर तक तैयार कर लें। एक बैंक के मुख्य कार्याधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि बैंकों के शीर्ष कार्याधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कर्ज पुनर्गठन योजना में अहम बदलाव के सुझाव दिए हैं ताकि लंबे समय से दबाव का सामना कर रहे कर्जदारों को भी इसमें समायोजित किया जा सके और साथ आवास ऋण के पुनर्गठन के लिए प्रावधान की जरूरत कम की जाए।  वित्त मंत्रालय ने बैंकरों से आरबीआई के संपर्क में रहने को कहा है ताकि नियामक ऋणदाताओं को समाधान प्रक्रिया में मदद कर सके।

वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘बैठक के दौरान वित्त मंत्री ने ऋणदाताओं को समाधान के लिए नीति को तत्काल बोर्ड के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाए, पात्र कर्जदारों की पहचान की जाए और जल्द से जल्द समाधान योजना को क्रियान्वित किया जाए।’

आरबीआई द्वारा अगस्त में मिली अनुमति के आधार पर बैंकों को अपने स्तर से कर्ज पुनर्गठन योजना को मंजूरी देनी होगी। आरबीआई ने कॉरपोरेट, एमएसएमई और पर्सनल ऋण लेने वाले कर्जदारों के लिए पुनर्गठन योजना लाने की अनुमति दी है।

कोविड संबंधित दबाव के लिए कर्ज समाधान योजना को लागू करने की तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में सभी अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारी शामिल थे।

वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘बैठक के दौरान सीतारमण ने बैंकों से कहा कि कर्ज भुगतान पर मॉरेटोरियम खत्म होने के बाद कर्जदारों की मदद की जाए और साथ ही इससे ऋणदाताओं पर भी असर नहीं पड़े।’

बैंकरों ने सुझाव दिया है कि 30 दिन से ज्यादा का डिफॉल्ट करने वाले उद्योगों को भी कर्ज पुनर्गठन का अवसर मिलना चाहिए। गैर-एमएसएमई खाताधारकों के लिए इस तरह का पुनर्गठन इस साल 31 दिसंबर तक लाई जा सकती है, और इसके लिए शर्त यह है कि 1 मार्च, 2020 तक कर्जदारों को 30 दिन से ज्यादा का भुगतान में चूक नहीं किया होना चाहिए।

एमएसएमई के लिए आरबीआई ने सभी तीन तरह की दबाव वाली संपत्तियों को पुनर्गठन का लाभ लेने की अनुमति दी है, बशर्तें उनका कर्ज 25 करोड़ रुपये से अधिक का नहीं हो। लेकिन 25 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज वालों के लिए पुनर्गठन की सुविधा उपलब्ध नहीं होगा अगर वे 31 से 60 दिन के डिफॉल्ट या 61 से 90 दिन के डिफॉल्ट की श्रेणी में आते हैं।

आरबीआई के अनुसार बैंकों को कर्ज पुनर्गठन के लिए 10 फीसदी रकम अलग रखनी होगी। एक बैंक के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘आवास ऋण खाते के लिए प्रावधान की जरूरत कम करने का सुझाव दिया गया है।’

वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘वित्त मंत्री ने ऋणदाताओं को कंपनियों तथा व्यवसायों के साथ ही व्यक्तिगत कर्जदारों की जरूरतों पर सक्रियता से ध्यान देना चाहिए।’

First Published - September 3, 2020 | 11:36 PM IST

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