सीआईआई अध्यक्ष और आईसीआईसीआई बैंक के मुख्य कार्य अधिकारी के वी कामत के अनुसार बाजार में नकदी को बढाने और बैंकों को उनकी ब्याज दरों में कटौती करने में मदद करने के लिए अभी और मौद्रिक उपाय किए जा सकते हैं।
प्रस्तुत हैं भारत आर्थिक सम्मेलन के अंतिम दिन आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दिए गए उनकेइस बयान के मुख्य अंश :
तमाम बैंक अपनी ब्याज दरों में कब कटौती करेंगे?
ब्याज दर या अन्य दर मांग और आपूर्ति से जुड़े होते हैं। जहां तक आपूर्ति की बात है तो बैंक अपने ब्याज दरों में कटौती करने से पहले बाजार में अधिक तरलता की स्थिति को देखना चाहेंगे। अत: कर्ज की मांग में बढ़ोतरी अगर होती है तो फिर दरों को भी फिर से तय किया जा सकता है।
यह कुछ दिनों या फिर कुछ सप्ताहों में हो सकता है। मैं इसलिए ऐसा कह रहा हूं कि इस बारे में कदम उठाए जा रहें हैं और इन मामलों को लेकर स्थिति बहुत स्पष्ट है। मैं ऐसा कहनेवाल पहला व्यक्ति हूं कि बाजार में कीमतों में कमी की आवश्यकता है।
क्या आपको लगता है कि सरकार कुछ मौद्रिक उपाय करेगी?
मेरा जवाब सकारात्मक होगा। अभी भी मौद्रिक उपाय करने की गुंजाइश बाकी है और वे लोग इसे लेकर पूरी तरह तैयार हैं। कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि हम चौबीसों घंटों सतर्क हैं जिसे कुछ मौद्रिक उपाय किए जाने के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
कई क दम उठाए जा चुके हैं और इसी तरह के कई और कदम उठाए जाएंगे। हालांकि आगे किस तरह का कदम उठाया जाएगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य किस तरह से करवट लेता है। उदाहरण केलिए अगर सिस्टमेटिक लिक्विडिटी आरामदायक स्थिति में नहीं है, तो इसमें बढोतरी करने की आवश्यकता है।
इसी तरह से अगर ब्याज दर ज्यादा है तो उसे नीचे लाने के तुरंत उपाय किए जाने की जरूरत है। मैं इस बात को लेकर निश्चिंत हुं कि इन सबको लेकर सब तैयार हैं। सीआआर में अभी भी 2.5 प्रतिशत की कटौती की गुंजाइश है और स्थिति में फिर भी सुधार नहीं होता है तो एसएलआर में भी कटौती की जा सकती है।
हाल के आर्थिक मंदी के कारण लोगों के मन में विश्वास की कमी हो गई है इसको जल्द ही सही नीतियों के तहत वापस लाने की जरूरत है।
क्या बाजार में नकदी की हालत अभी ठीकठाक है?
विश्व केदूसरे अन्य बाजारों के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर है। विश्व के अधिकांश बाजारों की अपेक्षा यहां तरलता ज्यादा है।
हालांकि अब यह पूरी तरह से सरकार पर निर्भर करती है कि वह इसका इस्तेमाल ब्याज दरों में कटौती करने में करेगी या फिर कुछ और।
आपको क्या लगता है, बाजार में अविश्वास का जो माहौल है, वह कब तक खत्म होगा?
देश केसामने यह एक कठिन चुनौती है। लोगों के विश्वास में अचानक आई इस गिरावट का कारण कुछ वैश्विक उत्पाद जैसे तेल और कमोडिटरी की कीमतों में अचानक परिवर्तन का आना रहा। ग्राहक उनके शेयरों को नहीं खरीद रहें हैं और और वह कीमतों के सही स्तर पर आने की प्रतीक्षा कर रहें हैं।
मांग में तेजी का आना बेहद जरूरी है। भारत में अधिकांश उत्पादों की मांग में 85-90 प्रतिशत तक का सुधार आएगा क्योंकि हमारा देश अभी भी 7 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है और इस लिहाज से मांगों में फिर से तेजी आना तय है।
अगले साल केलिए आप किस तरह की संभावनाएं देख रहे हैं?
अगले साल निवेश के लिहाज से काफी संभावनाएं दिख रही हैं हालांकि इन्क्रीमेंटल कैपिटल आउटपुट रेशियो केलिहाज से कुछ कम हो सकता है। इन निवेश से भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलने की संभावना है। ऐसा नहीं है कि हम अभी शुरुआत कर रहे हैं। सच कहूं, तो अभी इस क्षेत्र में अभी बेहतर निवेश होने की संभावना है।
जैसे ही इस तरह के निवेश होंगे, हमें 8 फीसद की विकास दर हासिल करने में किसी भी तरह की मुश्किल नहीं रह जाएगी।