नैशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) ने पुनर्वित्त (रीफाइनैंसिंग) पर ब्याज की दर बढ़ाकर 12 फीसदी कर दी है जबकि इससे पहले यह दर 9 फीसदी थी।
ब्याज दर बढ़ाने की पहल पिछले महीने ही शुरू हो गई थी। इसकी आधिकारिक घोषणा हो जाने के बाद नकदी के टोटे से जूझ रही आवासीय ऋण कंपनियों (एचएफसी) के लिए और मुश्किल हो जाएगी।
रिफाइनैंस सुविधाओं का मकसद हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को लंबे समय के लिए ऋण मुहैया कराना है। एनएचबी ने कहा कि पिछले कुछ समय में फंडों की कीमत काफी ज्यादा हो गई है जिससे ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना लाजिमी हो गया था।
एनएचबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस श्रीधर ने कहा कि बाजार में गिरावट के कारण फंडों की कीमतें बढ़ गई थीं। सितंबर के बाद से हालात और खस्ता हो गए थे। उन्होंने बताया कि विभिन्न मियादों वाली योजनाओं के लिए रिफाइनैंस की दरों में 100-150 आधार अंकों का इजाफा हुआ है।
एचएफसी के कर्ज में एनएचबी का योगदान 5 से 10 फीसदी का होता है। हाल में कर्ज मुहैया कराने वाले स्रोतों के हाथ खड़े करने, गैर परिवर्तनीय डिबेंचर पर ब्याज दरों के 9 फीसदी से बढ़कर 11 फीसदी के स्तर तक पहुंचने और बैंकों द्वारा हाउसिंग सेक्टर को कर्ज मुहैया करने से इनकार कर देने से एचएफसी के लिए पुनर्वित्त ही विकल्प बचा था।
एक बड़ी हाउसिंग फाइनैंस कंपनी के प्रमुख ने कहा कि रिफाइनैंस की दरों में इजाफा होने से उनका मार्जिन पहले से भी कम हो जाएगा। इसका साफ मतलब है कि उनकी परेशानी बढ़ जाएगी।