हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां, जिसमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और भारतीय स्टेट बैंक शामिल हैं, बढ़ती महंगाई और उधारी लागतों के कारण ऋण दरों में जल्दी ही कोई कटौती नहीं करने जा रही हैं।
यद्यपि भारतीय रिजर्व बैंक ने 20 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक के होम लोन के लिए रिस्क वेट (जोखिम भार) 50 प्रतिशत घटाने का निर्णय लिया है। बैंकरों ने कहा कि इससे बैंकों को होने वाले 75 आधार अंकों के लाभ कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में हुई वृध्दि और संसाधनों की बढ़ती लागतों, जो सरकारी बॉन्डों के लाभ से संबध्द हैं, और बाजार की प्रतिस्पध्र्दा की वजह से बेअसर होने के आसार हैं।
सीआरआर जमा का वह हिस्सा है जिसे बैंक आरबीआई में जमा करवाते हैं और इन पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता है। सीआरआर जितना अधिक होगा ऋण परिचालनों के लिए बैंकों के पास उतना ही कम कोष उपलब्ध होगा। बुधवार को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 30 लाख रुस्पये तक के होम लोन पर 25 से 100 आधार अंकों के कटौती की घोषणा की थी।
भारतीय स्टेट बैंक में रिटेल असेट से संबध्द एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उच्च महंगाई दरों, कोष के मूल्यों में बढ़ोतरी और सीआरआर की सख्ती के कारण होम लोन की दरों को कम करने के आसार बहुत कम ही नजर आते हैं।पिछले हफ्ते एसबीआई के अध्यक्ष ओपी भट्ट ने संकेत किया था कि अगले तीन से पांच महीनों तक उधारी और जमा दर दोनों यथावत बने रहने के अनुमान हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अधिकारियों की बातों का समर्थन करते हुए हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस (एचडीएफसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रिस्क वेट कम किए जाने से हमलोगों को थोड़ी राहत मिलेगी। लेकिन विभिन्न वित्तीय उपकरणों और ऋण के जरिये संसाधन जुटाने के लिए हम बैंकों पर निर्भर करते हैं और वे हमसे उच्चतर दर वसूल रहे हैं।
इसलिए कम से कम अभी अल्पावधि में दरों को कम करने के कोई आसार नहीं हैं।’ फिलहाल स्थिर दर बने रहने का संकेत देते हुए आईसीआईसीआई बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि बाजार में ऐसे कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं जिससे अभी ब्याज दरों में बदलाव का सिग्नल मिलता हो। आईडीबीआई बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूनियन बैंक का निर्णय अचानक आया है और उनका बैंक अभी होम लोन के ब्याज दरों की समीक्षा नहीं कर रहा है।
सीआरआर बढ़ने से बैंकों के पास कम संसाधन होंगे, इससे अप्रत्यक्ष तौर पर फंड की लागत बढ़ेगी।बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी ने कहा, ‘हमने 20 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक के होम लोन पर रिस्क वेट 50 प्रतिशत कम किए जाने की आरबीआई पॉलिसी के निर्णय की समीक्षा की। इससे उधार लेने वालों को लाभ की दृष्टि से कोई खस फर्क नहीं पड़ेगा।’
अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा होम लोन की औसत राशि 7.5 और 10 लाख रुस्पये के बीच होती है। यह 20 लाख रुपये की पुरानी सीमा (50 प्रतिशत रिस्क वेट के लिए) से कम है। इसलिए मांग के पैटर्न में इस छूट से ज्यादा बदलाव होने का अनुमान कम ही है।