मंदी के बीच कर्ज लेकर भागनेवाले ग्राहकों यानी डिफाल्टरों से बचने और नकदी की किल्लत दूर करने केलिए क्रे डिट कार्ड कंपनियों ने भी नए तरीकेआजमाने शुरू कर दिए हैं।
इसके लिए उन्होंने मौजूदा ग्राहकों की क्रेडिट सीमा कम कर दी है यानी क्रेडिट कार्ड पर आप पहले से कम खरीदारी कर पाएंगे। एसबीआई कार्ड के मुख्य कार्य अधिकारी दिवाकर गुप्प्ता ने बताया, ‘क्रडिटक कार्ड उद्योग इस वक्त डिफॉल्ट समेत तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। कई मामलों में ग्राहकों को उनके वेतन से भी ज्यादा क्रेडिट सीमा दे दी गई। कर्ज लौटाने की उनकी कुव्वत भी नहीं जांची गई है। इसलिए कंपनियां मौजूदा ग्राहकों की दोबारा जांच कर रही है।’
निजी बैंकों ने भी यह मुहिम शुरू कर दी है। एचएसबीसी केएक ग्राहक की क्रेडिट सीमा 65,000 रुपये थी जिसे घटाकार अचानक 12,000 रुपये कर दिया गया। उसे ताज्जुब हुआ क्योंकि क्रेडिट कार्ड लेने के बाद से उसने भुगतान तक में देरी नहीं की थी।
लेकिन जब उसने 15,000 रुपये की खरीदारी केक बाद क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतान की कोशिश की तो मशीन ने इनकार कर दिया क्योंकि उसकी क्रेडिट सीमा घटा दी गई थी।बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक के्रडिट कार्ड पर डिफॉल्ट की घटनाएं बढ़ती जा रही है।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में क्रेडिट कार्ड पर गैर-निष्पादित संपत्तियां दोगुनी हो चुकी है। पिछले वित्त वर्ष में इनका आंकडां सात से आठ फीसदी था। सिटी बैंक और एसबीआई कार्ड भी क्रेडिट सीमा बदलने की बात कर रहे हैं। आईसीआईसीआई भी ऐसा करने की बात कर रहा है।
बड़ी तादात में वित्तीय कंपनियों ने क्रेडिट ब्यूरो सिबिल के पास ग्राहकों का वित्तीय ब्योरा देना शुरू कर दिया है। बैंकरों के मुताबिक इससे उन्हें किसी ग्राहक की वित्तीय देनदारियों के बारे में जानने में काफी आसानी हाती जाती है।
क्रेडिट कार्ड कंपनियां देख रही हैं कि ग्राहक के पास कितने क्रेडिट कार्ड हैं, उसके ऊपर कितना कर्ज है और क्रेडिट कार्ड जारी होने के समय उसने अपनी आय कितनी बताई थी। डिफॉल्ट से बचने के लिए ऐसे ग्राहकों की क्रेडिट सीमा भी कम की जा रही है, जिनके पास एक से ज्यादा कार्ड हैं।