भारतीय रिजर्व बैंक के कदमों से होम लोन की दरों में कमी का रास्ता साफ हुआ हो पर गृह वित्त कंपनियां (एचएफसी) होम लोन की अपनी दरें घटाने के मूड में नहीं है।
रिजर्व बैंक के उपायों के फलस्वरूप कई बैंकों ने अपनी प्रधान ब्याज दर में कटौती की है। लेकिन एचएफसी का कहना है कि उनके द्वारा जुटाए गए पैसों की लागत में राहत के संकेत अभी नहीं दिख रहे हैं। बैंक अभी भी 13 प्रतिशत की दर ही वसूल कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस कंपनी और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन जिसका कि एचएफसी के बाजार में हिस्सेदारी पर 70 फीसदी तक का नियंत्रण है, अपने एंड कस्टमर पर करीब 11.5 फीसदी का शुल्क लगाती है जबकि दिवाना हाउसिंग फाइनैंस कंपनी 12-14 फीसदी का शुल्क लगाती है।
इस बारे में एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस के निदेश और मुख्य कार्यकारी आर आर नायर का कहना है कि हालांकि आवासीय क्षेत्र में दरों मे कटौती की बात चल रही है लेकिन फंडों की कीमतों में अभी भी कोई गिरावट नहीं आई है और यह जस की तस है।
नायर ने कहा कि निकट भविष्य में दरों में कटौती होने के फिलहाल कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।
एचडीएफसी बैंक के संयुक्त निदेशक रेणू सूद ने कहा कि फंडों की क ीमत का हमारे ब्याज दरों से सीधे तौर पर लेना देना है और हमने फंडों की कम कीमत का फायदा सीधे तौर पर अपने ग्राहकों तक पहुंचाय है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई द्वारा प्रणाली में नकदी बढाने के प्रयास के बावजूद हमें नहीं लगता कि ब्याज दरों में कोई कमी फिलहाल होने जा रही है।
सूद ने कहा कि नकदी की समस्या असल चीज नहीं है बल्कि क्रेडिट सबसे महत्वपूर्ण चीज है और जब तक क्रेडिट को सरलता से उपलब्ध नहीं कराया जाता तब तक स्थिति में सुधार होने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है।
गौरतलब है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर एचएफसी पर सीधे तौर पर पडा है और इसकी सार्वजनकि क्षेत्र के बैंकों से प्रतिस्पर्धा करने की इसकी क्षमता पर खासा असर पडा है।
उद्योग जगत से जुड़े सूत्रों के अनुसार पूरे हाउसिंग फाइनैंस बाजार में एचएफसी की हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी ज्यादा है और इन कंपनियों के इंक्रीमेंटल मार्केट हिस्सेदारी में इस वित्त वर्ष के अंत तक 15 फीसदी तक की गिरावट आने की संभावना है।
विश्व स्तर पर छाई जबरदस्त मंदी का असर चारो तरफ जबरदस्त पड़ा है बैंकिंग समेत सभी क्षेत्र इसकी चोट से करा ह रहे हैं।
हाल के कुछ महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक ने बाजार में पूंजी मुहैया कराने के उद्देश्य से कई मौद्रिक कदम उठाए और चीजों के ब्याज दरों में कटौती की संभावना कुछ हद तक नजर आ रही है।
दीवान हाउसिंग फाइनैंस के उपाध्यक्ष कपिल वधावन ने कहा कि हाल में नियामक द्वारा बैंकों को क्रेडिट उपलब्ध कराने के तमाम प्रयासों के बावजूद हमारे लिए स्थितियां बहुत सम्मानजनक नहीं हो पाई है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अलावा कोई उपाय नही बचता है।