इक्विटी बाजारों में चल रहा गिरावट का दौर दूसरी कई चीजों को भी प्रभावित करने लगा है। इस कड़ी में अब फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान भी इसकी आने लगे हैं।
पिछले साल फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान की बाजार में धूम रही थी। पिछले साल दिसंबर 2006 और फरवरी 2007 के बीच फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी )के जरिये 38,305 करोड़ रु पये जुटाए गए थे।
इसी दौरान इस साल यह आंकड़ा घटकर केवल 13,000 करोड़ रुपये तक सिमट गया। केवल मार्च 2007 में ही फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान ने 30,869 करोड़ रुपये जुटाए थे।
डयूश परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी सुरेश सोनी ने बताया कि दिसंबर और जनवरी के बीच 8 से 9 फीसदी की कम ब्याज रहने को इसकी एक वजह बताया।
तीन महीने के लिए यह 10 फीसदी तक पहुंच गई और एक साल के लिए 9.95 फीसदी हो गई।
एबीएन एमरो के उपाध्यक्ष और फि क्स्ड आय के प्रमुख महेंद्र जाजू ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से अनुकूल ब्याज दरों के चलते एफएमपी में लगने वाला पैसा बांड्स और लघु अवधि की लाभ कमाने वाली योजनाओं में लगा है।
सोनी का यह भी कहना है कि निवेश के तौर तरीकों में भी बदलाव आने लगा है। अब लोगनियत कालिक एफएमपी की बजाय सतत खुले ऋण की ओर मुखातिब होते जा रहे हैं। इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
एफएमपी बुनियादी तौर पर क्लोज्ड एंडेड डेब्ट आधारित होता है जो एक नियत समय के लिए होता है। इसकी अवधि तीन महीने, छह महीने या फिर उससे भी अधिक हो सकती है।
इसमें प्रतिफल की दर सांकेतिक होती है और बैंक डिपॉजिट की तरह इसमें कोई गारंटी नहीं होती। बैंक डिपॉजिट से जो ब्याज मिलता है उसको भी आय के रूप में गिना जाता है। और उस पर नियत आयकर भी लगता है।
जबकि एफएमपी की कर संरचना इस तरह की है कि एक साल से अधिक के लिए किए गए निवेश पर दोगुना लाभ हो सकता है।
यह कैसे कार्य करता है? इसको इस तरह से समझते हैं, मान लीजिए कि आप 10 मार्च 2008 को एक एफएमपी खरीदते हैं जिसकी
मैच्योरिटी की तारीख 2 अप्रैल 2009 हो तो आप 2009-10 में महंगाई सूचकांक का फायदा ले सकते हैं क्योंकि आपने उस साल में निवेश किया है।
आप 2009-10 में भी आप इनफ्लेशन इंडेक्स का लाभ उठा सकते हैं क्योंकि इस साल एफएमपी परिपक्व होना है। इस तरह केवल एफएमपी को 23 दिन (10 मार्च 2009 से 2 अप्रैल 2009 तक )और रोककर आप डबल इंडेक्सेशन का फायदा उठा सकते हैं।
एफएमपी से मिलने वाला प्रतिफल ही निवेशको को अपनी ओर खींचता है।
पिछले साल एफएमपी 10 से 10.25 फीसदी पोस्ट टैक्स रिटर्न दे रहे थे। इस साल भी ये 9 से 9.25 फीसदी के बीच 100 आधार अंक का लाभ दे रहे हैं।
मार्च में इस स्थिति के सुधरने के संके त दिखाई दे रहे हैं। एबीएन एमरो के जाजू कहते हैं कि एडवांस टैक्स भुगतान की वजह से निवेशक एफएमपी बाजार में प्रवेश करने के लिए मार्च के दूसरे हफ्ते का इंतजार कर रहे हैं।
आंकड़े खुद इस बात की तस्दीक करते हैं। पहले भी फरवरी के बाद मार्च के महीने में इसमें तेजी आती रही है। फरवरी 2007 में जहां एफएमपी ने15,589 करोड़ रुपये जुटाए थे वहीं मार्च में यह बढ़कर 30,869 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
इसी तरह फरवरी 2006 में एफएमपी का मीटर 6,766 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च में 11,876 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।