विदेशी बैंक से जुड़े एक निवेश बैंकर मेहुल सावला केपास बहुत सी छोटी कंपनियां उनसे फंड जुटाने को लेकर सलाह लेने के लिए आती रही हैं। इस साल मार्च में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और छोटे शहरों में छोटे और मंझोले उद्योगों की आवश्यकताओं की पूर्ति केलिए अपनी कपंनी इक्विटी सिंडीकेट की शुरूआत की।
इसी तरह घरेलू इन्वेस्टमेंट बैंक में काम कर रहे हुजेफा सितबखान ने भी इस्तीफा देकर एसएमई की ओर रूख करते हुए एक एडवायजरी फर्म इक्विटी डेट सिंडिकेशन की शुरूआत की।
हाल में ही ताजा अमेरिकी वित्तीय संकट केकारण बड़े सौदों केकारोबार को झटका लगा है और इस बात को महसूस क र रहें हैं कि फिलहाल एसएमई के कारोबार केज्यादा विकास करने की संभावना है इसमें कुछ पूंजी निवेश की जरूरत है।
अब चूंकि विदेशी बैंक फिर से अपने कारोबार को व्यवस्थित करने की जुगत में है, अभी निवेशकों के लिए एसएमई किसी बेहतर अवसर से कम नहीं है। थॉमस रायटर्स के द्वारा जारी किए गए ताजा आंकडां के अनुसार पिछले साल के 404.9 मिलियन डॉलर कीमत के 131 डील के मुकाबले इस साल अब तक पूंजी बाजार में 105.8 मिलियन डॉलर के 55 सौदे ही अब तक हुए हैं।
डेट कैपिटल मार्केट में अब तक पिछले साल के 45.9 मिलियन डॉलर कीमत के 239 के मुकाबले अब तक 33.5 मिलियन डॉलर के 220 डील ही हो पाएं हैं। इक्विरस कैपिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक अजय गर्ग ने कहा कि फर्मों को ग्रोथ कैपिटल की आवश्यकता है और विकास के परिदृश्य को देखते हुए फिलहाल इस समय प्रवर्तक वित्तीय और रणनीतिक निवेशक दोनों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहें हैं।
पिछले साल जुलाई में एमएपीई एडमिसी के कई बैंक कर्मी इससे अलग होकर इक्विरियस कैपिटल की शुरूआत की जो कि इन्वेस्टमेंट बैकिंग और एडवायजरी में अपनी सेवा प्रदान करती है।
रिपल वेव इक्विटी के सावला का कहना है कि बड़े कारोबारी इस क्षेत्र पर अपना ध्यान नहीं केन्द्रित करेंगे क्योंकि कारोबार की दृष्टि से यह बहुत दुखदाई हैं इसलिए कि यहां से लगभग 80 प्रतिशत का कारोबार होता है।
उन्होंने कहा कि पहले से महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रवर्तक अब वित्तीय निवेशक की तुलना में अब रणनीतिक निवेशक को ज्यादा तरजीह दे रहें है। मचर्ट बैंकिंग क्षेत्र में भी बैंकरों द्वारा अपनी एडवायजरी कंपनी खोलने की घटनाओं को लेकर चर्चित है।
यद्यपि इन कंपनियों ने अपने कार्यालयों केलिए मकान खरीदा है लेकिन इनका काम मोबाइल फोन और लैपटॉप से भी हो सकता है।
सल्वा के अनुसार इंटरनेट ने चीजों को और आसान कर दिया है क्योंकि किसी भी विदेशी बैंकों से आसानी से अब संपर्क कर समझौता किया जा सकता है। हाल में ही सल्वा ने आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की बैंकों के साथ सीमा पार सेवाएं प्रदान करने का समझौता किया है।
इस समय कई स्थापित आई-बैंक इस बात को महसूस कर रहें है कि इन उद्यमियों को अपने साथ कर डील को सोर्स कराना एक बेहतर तरीका है और इस समय हर एक आदमी एक दूसरे से बात कर रहा है।