केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कर्ज के किस्त के भुगतान पर लगी रोक (मॉरेटोरियम) की मियाद कुछ शर्तों के साथ दो साल के लिए बढ़ाई जा सकती है। हालांकि इसका लाभ सभी क्षेत्रों को नहीं मिल पाएगा और यह सुविधा देने के
लिए आर्थिक मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों की पहचान की जा रही है।
सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘हम संकटग्रस्त क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं ताकि आर्थिक मंदी की वजह से उन पर पड़े प्रभाव के अनुसार यह सुविधा दी जा सके।’
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह बुधवार को इस मामले पर फिर से सुनवाई करते हुए ऋण स्थगन अवधि के दौरान स्थगित मासिक किस्तों पर ब्याज वसूली और ब्याज पर लिए जाने वाले ब्याज की माफी की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर फैसला करेगी। शीर्ष अदालत ने जून में टिप्पणी की थी कि मॉरेटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूलना गलत है। आरबीआई ने कहा था कि ब्याज माफ करने से वित्तीय क्षेत्र प्रभावित होगा।