भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के शीर्ष अधिकारियों संग सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशक मंडल की आज पूरे दिन बैठक हुई। इसमें बोर्ड की रणनीतिक भूमिका पर जोर देने और स्वतंत्र निदेशकों के लिए पारिश्रमिक बढ़ाने पर चर्चा की गई।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशक मंडल के साथ यह अपनी तरह की पहली बैठक थी। 29 मई को मुंबई में निजी क्षेत्र के बैंकों के साथ भी इसी तरह की बैठक की जाएगी।
हालांकि आरबीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति में उन बातों को उल्लेख नहीं किया गया जिन पर विशेष चर्चा की गई। लेकिन शीर्ष सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि बैंकों के निदेशक मंडल को रणनीतिक भूमिका पर जोर देना चाहिए और परिचालन तथा अन्य पहलुओं पर उसे कम ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही बैंकिंग नियामक के शीर्ष अधिकारियों के साथ खुली बातचीत में प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए स्वतंत्र निदेशकों को बेहतर पारिश्रमिक देने की मांग पर भी चर्चा की गई।
आरबीआई के 26 अप्रैल, 2021 के परिपत्र में कहा गया था कि बोर्ड तथा इसकी समिति की बैठकों में शामिल होने के लिए शुल्क तथा अन्य खर्चों के अलावा बैंक गैर-कार्यकारी निदेशकों को उनकी जिम्मेदारी तथा समय की मांग के हिसाब से तय पारिश्रमिक का भुगतान दे सकता है। इसे योग्य एवं सक्षम लोगों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त माना गया था। हालांकि यह भी कहा गया था कि निदेशक मंडल के चेयरमैन से इतर गैर-कार्यकारी निदेशकों को तय पारिश्रमिक 20 लाख रुपये सालाना से अधिक नहीं होना चाहिए।
हालांकि वाणिज्यिक बैंकों में प्रशासन पर आरबीआई की ओर से 11 जून 2020 को जारी परिचर्चा पत्र का सरकारी बैंकों पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि बैंकों के विशेष प्रावधान के कारण सुझाव उन पर लागू नहीं होते थे। ऐसे में माना जाता था कि अधिकारी समय के साथ-साथ बोर्ड को साफ-सुथरा बनाने के प्रोटोकॉल पर पूरी तरह अमल करेंगे।
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आरबीआई के उस परिचर्चा पत्र पर विवाद पैदा हो गया था क्योंकि निजी क्षेत्र के बैंकों का मानना था कि उनके साथ भेदभाव करते हुए उनकी शक्तियों को सीमित कर दिया गया है। इन बैंकों में स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका को कार्यकारी बनाया गया था जबकि दैनिक कामकाज में उनका कोई दखल नहीं होता है। नामांकन एवं वेतन समिति, ऑडिट समिति और जोखिम प्रबंधन समिति में केवल गैर-कार्यकारी निदेशक होते थे। सभी बैंकों में समान प्रोटोकॉल तभी लागू किए जा सकते हैं जब सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र के बैंकों के बोर्ड रणनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्वतंत्र हों।
आज की बैठक में गर्वनर शक्तिकांत दास ने कई हालिया झटकों के बावजूद वित्तीय प्रदर्शन में सुधार जारी रखने और अर्थव्यवस्था को सहारा देने में बैंकों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि बैंकों के निदेशक प्रशासन में और मजबूती तथा जोखिम प्रबंधन, अनुपालन एवं आंतरिक ऑडिट जैसी गतिविधियां सुनिश्चित करेंगे।