भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को निदेशक मंडल के सदस्यों को निजी क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में अपनी चिंताओं से अवगत कराया और साथ ही शुरू की जाने वाली अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पर प्रगति की जानकारी भी दी।
लखनऊ में आरबीआई के निदेशक मंडल की 592वीं बैठक में गवर्नर शक्तिकांत दास, जिन्होंने निदेशक मंडल की अध्यक्षता भी की, सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने सीबीडीसी समेत कई मुद्दों पर चर्चा की।
एक सूत्र के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था, लेकिन बोर्ड के एक सदस्य जानना चाहते थे कि केंद्रीय बैंक निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहता है।
फिलहाल देश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर कोई विनियमन या कोई प्रतिबंध नहीं है। नवंबर में एक संसदीय समिति ने हितधारकों के साथ क्रिप्टो वित्त के गुण-दोष के संबंध में चर्चा की थी और कई सदस्य क्रिप्टो मुद्राओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय क्रिप्टो मुद्रा एक्सचेंजों को विनियमित करने के पक्ष में थे।
सूत्रों के अनुसार आरबीआई के अधिकारियों ने निदेशक मंडल के सदस्य को वृहद अर्थव्यवस्था की अस्थिरता के बारे में अवगत कराया, जो इस तरह की क्रिप्टोकरेंसी के कारण बन सकती हैं और बताया कि किस तरह से ऐसी मुद्राओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव उन्हें एक्सचेंज की दृष्टि से अनुपयुक्त बना देता है। साथ ही ऐसी क्रिप्टोकरेंसी किसी भी केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित नहीं होती हैं और इसलिए वित्तीय अस्थिरता पैदा कर सकती हैं।
आरबीआई के अधिकारियों ने कहा कि सीबीडीसी की शुरुआत निजी क्रिप्टोकरेंसी की आवश्यकता का निवारण कर देगी, लेकिन इनसे उत्पन्न वित्तीय अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए, भारत में ऐसी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगाना ही सही है।
सूत्र ने कहा कि आरबीआई के अधिकारियों ने वही बातें दोहराई, जो उन्होंने भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी का विरोध करते हुए सरकार को बताई थीं।
आरबीआई ने निदेशक मंडल को थोक और खुदरा सीबीडीसी की प्रगति से अवगत कराया। 8 दिसंबर को नीतिगत संबंधी संवाददाता सम्मेलन के दौरान जताई गई उन्हीं चिंताओं को दोहराते हुए आरबीआई ने कहा कि वह व्यापक उपयोग के लिए शुरुआत की जाने से पहले वह खुदरा सीबीडीसी की विभिन्न सुरक्षात्म पहलुओं को सुनिश्चित करेगा।
