बैंक मॉरेटोरियम लॉकडाउन से पैदा हुए दबाव का एक अस्थायी समाधान था, लेकिन समाधान ढांचा एक स्थायी ढांचा था। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सीएनबीसी टीवी18 को दिए साक्षात्कार में यह बात कही।
दास ने आगामी 31 अगस्त को खत्म होने जा रहे मॉरेटोरियम के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि आरबीआई ने बैंकों और जमाकर्ताओं की वित्तीय सेहत पर विचार-विमर्श के बाद कोविड-19 से संबंधित समाधान ढांचा बनाया। उन्होंने कहा कि कारोबारों पर बहुत अधिक दबाव था और अगर वे असफल हो जाते तो उसका वित्तीय स्थायित्व पर असर पड़ता। दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने कोविड की अनिश्चितता के कारण वृद्धि के अहम आंकड़े जारी नहीं किए। उन्होंने कहा, ‘आरबीआई के आंकड़े भरोसेमंद होने चाहिए। हम सुरक्षित दांव नहीं खेल रहे हैं, हमारे सामने मौजूदा हालात की कुछ स्पष्ट तस्वीर आने दीजिए। कोविड के वक्र के सपाट होने पर महंगाई और जीडीपी के आंकड़े जारी किए जा सकते हैं। अभी वह स्पष्टता हमारे सामने नहीं है, इसलिए हम केवल दिशा निर्देशक जारी कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल बहुत मजबूत हैं और कोविड वक्र के सपाट होने पर इसमें सुुधार आएगा।
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई की बेहतर तैयारी है। सभी परंपरागत और गैर-परंपरागत और कुछ नए उपाय उपलब्ध हैं।’ बीते समय में दरों में कटौती के लाभ कर्जदारों तक पहुंचाने की प्रगति अच्छी रही है। उन्होंने कहा, ‘जब जरूरत पड़ेगी, हस्तक्षेप किया जाएगा। हालांकि कब और क्या, इसे लेकर मैं कुछ नहीं कह सकता।’
बॉन्ड प्रतिफल बढऩे पर दास ने कहा कि आरबीआई सरकार का कर्ज प्रबंधक है। दास ने बैंकों में बोर्डों के कॉरपोरेशन प्रशासन और मुख्य कार्याधिकारी के कार्यकाल को लेकर कहा कि छोटा कार्यकाल कोई अड़चन नहीं है क्योंकि कुछ बैंक अपने सीईओ का लंबा कार्यकाल होने के बावजूद असफल हो गए।
