रेटिंग एजेंसी मूडीज ने बुधवार को कहा कि संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) का डीबीएस की भारतीय सहायक इकाई के साथ विलय से डीबीएस की व्यावसायिक हैसियत मजबूत होगी। डीबीएस को नए रिटेल और छोटे एवं मध्यम आकार के ग्राहक जोडऩे में मदद मिलेगी।
डीबीएस बैंक इंडिया की ऋण बुक मुख्य तौर पर एसएमई-केंद्रित है। इस अधिग्रहण से डीबीएस को भारत में अपनी डिजिटल रणनीति के साथ पारंपरिक शाखा बैंकिंग को संपूर्ण बनाने में मदद मिलेगी।
इस विलय से सिंगापुर स्थित डीबीएस समूह का क्रेडिट प्रोफाइल प्रभावित नहीं होगा। डीबीएस की पूंजी पर विलय का असर बेहद कम होगा।
मूडीज ने एक बयान में कहा है, ‘हमारा अनुमान है कि इस विलय के बाद डीबीएस इंडिया की ग्राहक जमा और शुद्घ ऋणों में करीब 50-70 प्रतिशत तक का इजाफा होगा। एलवीबी डीबीएस इंडिया की 27 शाखाओं में करीब 500 शाखाओं का विस्तार करेगी।’
17 नवंबर को आरबीआई ने निजी क्षेत्र के ऋणदाता एलवीबी का डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (सिंगापुर के डीबीएस बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाले) में विलय की योजना की
घोषण की।
इस विलय योजना के तहत, डीबीएस को एलवीबी में करीब 34.5 करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा। विलय के बाद गठित इकाई का कॉमन इक्विटी टियर-1 रेशियो डीबीएस से पूंजी निवेश से पहले 9.6 प्रतिशत होगा।
मूडीज ने कहा है, ‘भारत डीबीएस के प्रमुख बाजारोंमें से एक है और एलवीबी का अधिग्रहण डीबीएस की विस्तार रणनीति के अनुकूल है। हमारा मानना है कि इसविलय से भारत में डीबीएस का शुद्घ ऋण बढ़कर समूह ऋणों के करीब 1.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा, जो 30 जून 2020 तक 0.9 प्रतिशत था। भारत में डीबीएस का शुद्घ ऋण पोर्टफोलियो छोटा बना रहेगा और इससे समूह का क्रेडिट प्रोफाइल प्रभावित नहीं होगा।’
