facebookmetapixel
Q2 Results: Tata Motors, LG, Voltas से लेकर Elkem Labs तक; Q2 में किसका क्या रहा हाल?पानी की भारी खपत वाले डाटा सेंटर तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर डाल सकते हैं दबावबैंकों के लिए नई चुनौती: म्युचुअल फंड्स और डिजिटल पेमेंट्स से घटती जमा, कासा पर बढ़ता दबावEditorial: निर्यातकों को राहत, निर्यात संवर्धन मिशन से मिलेगा सहारासरकार ने 14 वस्तुओं पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश वापस लिए, उद्योग को मिलेगा सस्ता कच्चा माल!DHL भारत में करेगी 1 अरब यूरो का निवेश, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग में होगा बड़ा विस्तारमोंडलीज इंडिया ने उतारा लोटस बिस्कॉफ, 10 रुपये में प्रीमियम कुकी अब भारत मेंसुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के 1 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोकदिल्ली और बेंगलूरु के बाद अब मुंबई में ड्रोन से होगी पैकेज डिलिवरी, स्काई एयर ने किया बड़ा करारदम घोंटती हवा में सांस लेती दिल्ली, प्रदूषण के आंकड़े WHO सीमा से 30 गुना ज्यादा; लोगों ने उठाए सवाल

ऋण वृद्घि 59 साल के निचले स्तर पर

Last Updated- December 12, 2022 | 4:12 AM IST

बैंक ऋण वृद्घि वित्त वर्ष 2021 में घटकर 59 वर्ष के निचले स्तर पर रह गई। इसका मुख्य कारण ऊंची रेटिंग (एएए और एए+) वाली कंपनियों द्वारा बैंकों के मुकाबले बाजार से सस्ती पूंजी जुटाना माना जा सकता है। बैंकों के ऋण कॉरपोरेट बॉन्डों की ब्याज दरों के मुकाबले 46 आधार अंक ऊंचे रहे, भले ही बैंकों ने वर्ष में अपनी एमसीएलआर में 90 आधार अंक तक की कटौती की।
जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच केयर रेटिंग्स द्वारा कराए गए कॉरपोरेट बॉन्ड प्रतिफल, बैंक की एमसीएलआर और सरकारी प्रतिभूतियों के विश्लेषण के अनुसार, एएए-रेटिंग कंपनियां अपना ऋण बैंक ऋणों के मुकाबले 46 आधार अंक तक सस्ता बेच सकती हैं। सरकारी प्रतिभूतियों की तुलना में एएए और एए+ पत्रों का बेंचमार्क जिल्ट के मुकाबले सिर्फ 100 आधार अंक तक का अंतर रहा। रिजर्व बैंक द्वारा ऋण मांग बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़े जाने के बावजूद, बैंकों से ऋण मांग वित्त वर्ष 2021 में 5.56 प्रतिशत के साथ 59 वर्ष के निचले स्तर पर रह गई। यह स्थिति  सरकार द्वारा महामारी के प्रभाव से मुकाबले की कोशिश में ऋण-केंद्रित प्रोत्साहन के बावजूद थी। एसबीआई रिसर्च ने पिछले महीने कहा था कि 5.56 प्रतिशत की ऋण वृद्घि पर, यह वित्त वर्ष 1962 के बाद से सबसे कम दर्ज वृद्घि थी। तब यह 5.38 प्रतिशत पर थी।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के अनुसार, एएए और एए+ पत्रों के बीच औसत अंतर महामारी से पहले करीब 33 आधार अंक था और वित्त वर्ष 2021 के लिए यह 46 आधार अंक था। एए-पत्र के मामले में, यह अंतर महामारी से पहले 63 आधार अंक और वित्त वर्ष 2021 में 78 आधार अंक था। हालांकि एए-डाउनवार्ड से, यह अंतर वित्त वर्ष 2021 में 100 आधार अंक से ज्यादा हो गया था। स्पष्ट तौर पर, एए+ और एए रेटिंग की कंपनियां 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों के मुकाबले महज 100 आधार अंक ज्यादा पर उधारी जुटा सकी हैं।
उनका कहना है कि  इसका मतलब यह है कि एए+ और एए रेटिंग की कंपनियां उस वर्ष में 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों के मुकाबले 100 आधार अंक से कम पर उधारी जुटा सकींं, जब रीपो दर 145 आधार अंक तक घटाई गई और बैंकों ने अपनी एमसीएलआर में 90 आधार अंक तक की कटौती की। आरबीआई के उपायों और रीपो दर में कमी के बाद जहां जनवरी और मार्च 2020 के बीच एक वर्षीय एमसीएलआर में 5 आधार अंक तक की कमी आई, वहीं वर्ष के अंत तक एमसीएलआर में करीब  आधार अंक तक की कमी आई। लेकिन दिसंबर से एमसीएलआर 7.30 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी रही।

First Published - May 30, 2021 | 11:03 PM IST

संबंधित पोस्ट