भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में मांग की दशा में सुधार का रुख देखने को मिल रहा है और कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बिक्री में संकुचन 4.3 प्रतिशत तक सीमित रहा। गौरतलब है कि कोविड-19 के चलते देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के कारण विनिर्माण क्षेत्र में पहली तिमाही के दौरान 41.1 प्रतिशत की गिरावट हुई थी। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही के दौरान निजी कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन के अनुसार लोहा और इस्पात, खाद्य उत्पादों, सीमेंट, ऑटोमोबाइल और दवा कंपनियों ने सुधार की अगुवाई की। आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून के दौरान विनिर्माण कंपनियों ने 5,99,479 करोड़ रुपये की बिक्री की, जबकि इससे पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 3,97,233 करोड़ रुपये था। आरबीआई ने कहा कि यह आंकड़ा 2,637 सूचीबद्ध गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) कंपनियों के तिमाही वित्तीय परिणामों से निकाला गया है। आरबीआई ने बताया कि इस दौरान आईटी क्षेत्र की बिक्री 3.6 प्रतिशत की दर पर स्थिर रही। दूसरी तिमाही के दौरान गैर-आईटी कंपनियों और आईटी कंपनियों की बिक्री क्रमश: 80,842 करोड़ रुपये और 1,01,353 करोड़ रुपये रही।
असंगठित क्षेत्र को सुरक्षा देने के लिए ईपीएफओ को 2021 में करने होंगे कठिन प्रयास
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ से अधिक कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना, मौजूदा योजनाओं को नये स्वरूप में ढालना और नई नियुक्तियों में तेजी लाना जैसे कुछ मुद्दे हैं, जो कि सेवानिवृत्ति लाभ उपलब्ध कराने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के समक्ष 2021 में चुनौती बनकर खड़े होंगे। ईपीएफओ वर्तमान में संगठित क्षेत्र के छह करोड़ से अधिक कर्मचारियों को भविष्य निधि कोष और कर्मचारी पेंशन योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा का लाभ उपलब्ध कराता है।
नए साल में संगठन को सरकार की महत्त्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) को लागू करने पर ध्यान देते हुए सेवाओं की सुपुर्दगी में सुधार लाने के लिए भगीरथ प्रयास करने होंगे। सामाजिक सुरक्षा संहिता के अगले साल एक अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है। ऐसे में ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नए माहौल के अनुरूप ढालना होगा, क्योंकि इससे असंगठित क्षेत्र के कामगार भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ जाएंगे। देश में 40 करोड़ से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं जो कि किसी प्रतिष्ठान अथवा कंपनी के वेतन रजिस्टर में नहीं आते हैं और उन्हें भविष्य निधि और ग्रेच्युटी जैसे लाभ प्राप्त नहीं हैं। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के पूर्व महासचिव ब्रिजेश उपाध्याय ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता के अमल में आने पर ईपीएफओ के समक्ष 2021 में नई चुनौतियां सामने आएंगी। उन्होंने कहा, ‘असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए अपनी योजनाओं और नेटवर्क का दायरा बढ़ाना होगा।’ उपाध्याय ईपीएफओ ट्रस्ट में ट्रस्टी भी हैं। उनका कहना है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नया रूप देना होगा। इससे पहले यह सवाल उठाया गया था कि असंगठित क्षेत्र के मामले में भविष्य निधि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना में नियोक्ता के हिस्से का योगदान कौन करेगा। अब यह कहा गया है कि यह हिस्सा या तो सरकार की तरफ से दिया जाएगा अथवा असंगठित क्षेत्र के कामगार ऐसी योजनाओं में शामिल हो सकते हैं जिनमें केवल उनकी तरफ से ही योगदान किया जाएगा।
श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा, ‘2021 में ईपीएफओ का मुख्य ध्यान आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना पर होगा जिसके तहत नई नियुक्तियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।’ श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने इस माह की शुरुआत में कहा कि ईपीएाफओ के तहत 52 लाख कर्मचारियों को कोविड-19 राहत योजना के तहत 13,300 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई।