देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कॉन्टैक्टलेस कार्ड लेनदेन के लिए सीमा 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दी है। यह बदलाव 1 जनवरी 2021 से प्रभावी होगा। इसी तरह कार्ड और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये लेनदेन के लिए ई-मैंडेट पर जोर दिया गया है।
आरबीआई के अनुसार, ‘कॉन्टैक्टलेस कार्ड लेनदेन और कार्डों (और यूपीआई) पर ट्रांजेक्शन के लिए ई-मैंडेट से ग्राहक सुविधा में इजाफा हुआ है। ये बदलाव भुगतान (खासकर मौजूदा महामारी के दौरान) को सुरक्षित बनाने के लिए भी जरूरी है।’
डेबिट और क्रेडिट कार्डों के जरिये कॉन्टैक्टलेस कार्ड भुगतान पिन डाले बगैर किए जाते हैं, जिससे ऐसे मौजूदा हालात में ट्रांजेक्शन काविकल्प सुरक्षित बन गया है, जिसमें लोग कोरोनावायरस फैलने की आशंका से कुछ भी छूने से परहेज कर रहे हैं। इसमें रेडियो आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी और नियर-फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। ग्राहक पॉइंट-ऑफ-सेल टर्मिनल के पास रखकर ट्रांजेक्शन कर सकता है।
वीजा में गु्रप कंट्री मैनेजर (इंडिया ऐंड साउथ एशिया) टी आर रामचंद्रन ने कहा, ‘जैसा कि हाल के महीनों में देखा गया है, डिजिटल भुगतान के लिए उपभोक्ताओं की पसंद बढ़ी है और ई-मैंडेट तथा कॉन्टैक्टलेस कार्डों के लिए नई सीमा से बड़ी तादाद में भारतीय उपभोक्ताओं को डिजिटल भुगतान के सुविधाजनक और सुरक्षित स्वरूप का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।’
रामचंद्रन ने कहा कि चूंकि वीजा ने भारत में पांच साल पहले अपने कॉन्टैक्टलेस कार्ड पेश किए और तब से उपभोक्ताओं ने अपने छोटे आकार की दैनिक खरीदारी के लिए ऐसे कार्ड को लगातार पसंद किया है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह आरबीआई द्वारा सही दिशा में उठाया गया कदम है और लोगों ने आरबीआई से इस तरह के लेनदेन की सीमा बढ़ाने की मांग की थी। यह सीमा बढऩे के बाद ट्रांजेक्शन की संख्या में इजाफा दिखेगा। आरबीआई ने कहा है कि यह सीमा ग्राहक की समझ के हिसाब से बढ़ाई जा सकेगी।
पीडब्ल्यूसी में पार्टनर, लीडर मिहिर गांधी ने कहा, ‘अब लोगों को ऐसे कार्डों के जरिये ज्यादा रकम के लेनदेन के लिए अपना पिन डालने की जरूरत नहीं होगी। कॉन्टैक्टलेस कार्ड भुगतान की सीमा बढ़ाकर 5,000 रुपये किए जाने से करीब 70-80 प्रतिशत ट्रांजेक्शन पीओएस टर्मिनल में किए जा सकेंगे।’
नैशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी दिलीप अस्बे ने कहा कि यह सीमा बढऩे से ट्रांजेक्शन की औसत वैल्यू बढ़ाने और डिजिटल भुगतान की पहुंच बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि इसके परिणामस्वरूप यूपीआई के ऑटोपे फीचर को भी बढ़ावा मिलेगा। यह अब यूटिलिटी बिल, निवेश, दोपहिया ईएमआई, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स ईएमआई आदि जैसे बड़े आकार के भुगतान में भी सक्षम होगा।
आरटीजीएस चौबीसों घंटे
आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) की सुविधा अब वर्ष के सभी दिन, चौबीसों घंटे उपलब्ध होगी। यह बदलाव 14 दिसंबर से लागू होगा। आरबीआई ने कहा है कि ग्राहक और इंटर-बैंक ट्रांजेक्शन के लिए आरटीजीएस हर समय उपलब्ध होगी, हालांकि ‘ऐंड-ऑफ-डे’ और ‘स्टार्ट-ऑफ-डे’ प्रक्रियाओं के बीच इंटरवल के लिए यह उपलब्ध नहीं होगी, जिसका समय आरटीजीएस व्यवस्था के जरिये बताया जाएगा।
आरबीआई ने कहा है, ‘सदस्यों को अपने ग्राहकों के लिए चौबीसों घंटे आरटीजीएस सुविधा मुहैया कराने के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की सलाह दी गई है। सामान्य बैंकिंग कामकाज के बाद किए गए आरटीजीएस सौदे स्वत: ही ‘स्ट्रेट थ्रो प्रोसेसिंग’ (एसटीपी) मोड में तब्दील हो जाएंगे।’
अक्टूबर की मौद्रिक नीतिगत बैठक में आरबीआई ने आरटीजीएस प्रणाली सभी दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया था।