भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा मौजूदा थर्ड पार्टी ऐप्लीकेशन प्रोवाइडरों (टीपीएपी) के लिए मात्रा की सीमा लागू किए जाने को तीन माह से ऊपर होने को हैं। इस बीच वॉलमार्ट समर्थित फोनपे ने एनपीसीआई से औपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि इस नियम को लागू करने की अंतिम तिथि बढ़ाई जाए, क्योंकि इस तरह की सीमा लागू किए जाने से देश में डिजिटल भुगतान की वृद्धि की संभावनाएं कम होंगी।
फोनपे के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने एनपीसीआई से कारोबार की सीमा लागू करने की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने का औपचारिक अनुरोध किया है। हमारा मानना है कि कृत्रिम रूप से कारोबार सीमित करने से डिजिटल कारोबार की वृद्धि की संभावनाएं प्रभावित होंगी और वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों पर असर पड़ेगा।’एनपीसीआई के हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त महीने में यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से हुए लेन-देन में करीब 48 प्रतिशत फोनपे से हुआ है। फोनपे और गूगल पे का कुल मिलाकर यूपीआई के माध्यम से लेन-देन पर 80 प्रतिशत कब्जा है। यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, हालांकि दिसंबर 2020 के पहले गूगल पे शीर्ष पर था।
देश में डिजिटल भुगतान की संरक्षक इकाई एनपीसीआई ने नवंबर 2020 में दिशानिर्देश जारी किया था। इसके मुताबिक यूपीआई के माध्यम से लेन-देन में किसी टीआरएपी की हिस्सेदारी की मात्रा 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती है, और यह 1 जनवरी 2021 से लागू है। इसकी गणना तीन माह के दौरान लेन देन की मात्रा के आधार पर की जाती है। बहरहाल यह अहम है कि नियत सीमा से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी वाले टीपीएपी जैसे फोनपे और गूगल पे को जनवरी 2021 से दो साल तक का अतिरिक्त वक्त दिया गया है।
इस कदम के माध्यम से एनपीसीआई का लक्ष्य व्यवस्था में संकेंद्रण और दो प्रमुख कंपनियों के दबदबे के जोखिम को कम करना है। साथ ही यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य भी है कि अन्य कंपनियां भी अवसर पा सकें। बहरहाल ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं देने, ग्राहकों की ओर से तरजीह मिलने की वजह से फोनपे का दबदबा बना हुआ है।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘यूपीआई पूरी तरह से इंटरऑपरेटेबल है और प्रवेश को लेकर कोई बाधा नहीं है। फोनपे का बाजार में प्रभुत्व ग्राहकों की तरजीह के मुताबिक है। कंपनी की बाजार हिस्सेदारी घटाने का एकमात्र तरीका यह है कि नए ग्राहकों और मौजूदा ग्राहकों को इसका इस्तेमाल न करने दिया जाए। अगर सबसे बड़े ऐप को नए ग्राहक बनाने से रोका जाता है और पुराने ग्राहक कम करने को कहा जाता है तो इससे यूपीआई की वृद्धि पर असर पड़ेगा।’ इस सिलसिले में एनपीसीआई को भेजे गए ई-मेल का कोई उचित जवाब नहीं मिल पाया है।
इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि केंद्रीय बैंक यूपीआई के माध्यम से किए गए भुगतान को लेकर आने वाली समस्या का समाधान निकालने की कवायद कर रहा है, जो दो बड़े ऐप तक सीमित हो गया है। उन्होंने कहा था, ‘यूपीआई के माध्यम से होने वाले कुल लेन-देन में करीब 80 प्रतिशत दो इकाइयों तक सिमटा है। अब अमेरिका इस मसले का समाधान कर रहा है। हम भी यूरोप पर नजर बनाए हुए हैं कि हम इस समस्या से कैसे निपट सकते हैं।’