वर्तमान वित्तीय वर्ष बिना रेटिंग वाली कंपनियों को 50 करोड़ रुपये से अधिक ऋण देने पर बैंकों को अतिरिक्त पूंजी का प्रावधान करना होगा।
अप्रैल 2009 से यह समस्या बैंकों के लिए ज्यादा बड़ी हो सकती है क्योंकि 20 करोड़ से अधिक के सभी ऋणों के लिए उन्हें प्रावधान करना करना होगा जबतक कि कंपनियों को रेटिंग नहीं मिल जाती हैं।
बैंक इस मुद्दे को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के पास लेकर गए। बैंकों का कहना है कि उन्हें बेसल-2 के तहत 150 प्रतिशत के रिस्क वेट के कारण अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध करानी हो सकती है जबकि रेटेड कंपनियों के मामले में यह 20 से 100 प्रतिशत है।
बेसल-2 वैश्विक बैंकिंग संगति का एक मानक है जो बैंकों द्वारा उठाए जा सकने वाले विभिन्न जोखिमों के मापदंड के लिए एक दिशानिर्देश उपलब्ध कराता है। भारतीय बैंकों को चालू वित्तीय वर्ष से बेसल-2 के अनुरूप होना है।
केंद्रीय बैंक के नियमों के अनुसार ‘एएए’ रेटेड कंपनियों के लिए बैंकों को 20 प्रतिशत का रिस्क वेट देना होगा जबकि कमजोर रेटिंग वाली कंपनियों के लिए उन्हें और अधिक का प्रावधान करना होगा।रिस्क वेट का मतलब है कि बैंकों को 100 करोड़ रुपये के ऋण के संभावित डिफाल्ट के लिए 1.5 करोड़ रुपये अलग रखने होंगे।
यद्यपि यह संभव है कि इस बोझ को उधार लेने वालों पर भी कुछ हद तक डाल दिया जाए, इसके लिए उनसे ब्याज दर अधिक लेना होगा। बैंकर्स ने कहा कि ऐसा करना इस परिस्थिति में कठिन होगा क्योंकि कंपनियां एक बैंक से ब्याज दर के भाव लेकर दूसरे बैंक से उसके मुताबिक मोल जोल करती हैं।बैंक रेटिंग एजेंसी पर आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि इस परिस्थिति से निबटने के लिए पर्याप्त क्षमता तैयार करने में वे अक्षम रहे हैं।
एक बैंकर ने कहा, ‘उत्पाद-संबंधी रेटिंग उपलब्ध हैं, लेकिन कंपनियों के लिए ऐसे रेटिंग उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें अब तक उपाय करना चाहिए था क्योंकि उन्हें मालूम था कि बेसल-2 आने वाला था।’
अब रेटिंग एजेंसी के पक्ष की बात करें तो उनके कार्यकारियों का कहना है कि उन्होंने अपना प्रयास बढ़ाया है। एक कार्यकारी ने बताया कि कंपनियों की इस संदर्भ में अरुचि भी समस्या का एक हिस्सा थी।
एक रेटिंग एजेंसी के प्रमुख ने बताया, ‘यह एक चुनौती है। नियामक के प्रस्ताव की वजह से मांग में आई जबर्दस्त वृध्दि को डील करना भी एक कठिन कार्य है।’उन्होंने कहा, ‘ अगर वे इस तरह का बयान देते हैं तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। हम कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं लेकिन अंतिम समय में काफी जद्दोजहद है।’