भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि वाणिज्यिक बैंकों और शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को कम से कम दो ऑडिटरों की नियुक्ति की अनुमति होगी, जो एक दूसरे से संबंधित न हों। साथ ही सालाना आधार पर वैधानिक ऑडिटरों की नियुक्ति या फिर से नियुक्ति के लिए उन्हें रिजर्व बैंक से पहले मंजूरी लेनी होगी। रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘पहले के साल की समाप्ति पर 15,000 करोड़ रुपये सा इससे ऊपर संपत्ति के आकार वाली इकाइयों को न्यूनतम 2 ऑडिट फर्मों से संयुक्त ऑडिट करानी होगी।’
अगर किसी बैंक की बैलेंस शीट 15,000 करोड़ रुपये से कम है तो वह एक वैधानिक ऑडिटर रख सकता है। बहरहाल सभी मामलों में वैधानिक ऑडिटरों के रूप में समवर्ती ऑडिटरों की नियुक्ति नहीं हो सकती है।
ऑडिटरों के लिए अपने दिशानिर्देश में केंद्रीय बैंक ने कहा है, ‘यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इकाई के संयुक्त ऑडिटरों में कोई साझा पार्टनर्स न हों और वे ऑडिट फर्मों के एक ही नेटवर्क के तहत न आते हों।’
बैंकों को बोर्ड द्वारा मंजूर नीति के तहत ऑडिटरों की संख्या के बारे में फैसला करना होगा, जो आकार और संपत्तियों के विस्तार, अकाउंटिंग और प्रशासनिक इकाइयों, लेन देन की जटिलताओं, कंप्यूटरीकरण के स्तर, अन्य स्वतंत्र ऑडिट इनपुट्स की उपलब्धता, वित्तीय रिपोर्टिंग में चिह्नित जोखिम आदि के आधार पर तय होगा। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘अन्य सभी इकाइयां वैधानिक ऑडिट के लिए न्यूनतम एक ऑडिटर फर्म की नियुक्ति कर सकती हैं।’
5 लाख करोड़ रुपये तक की बैलेंस शीट के लिए अधिकतम 4 ऑडिटर, 5 लाख करोड़ से 10 लाख करोड़ रुपये के बीच के लिए 6 ऑडिटरों, 20 लाख करोड़ रुपये तक के लिए 8 ऑडिटरों और 20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के लिए 12 ऑडिटरों की नियुक्ति की जा सकती है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऑडिटरों/ऑडिट फर्मों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इकाइयों को 3 साल के लिए एससीए/एसए की नियुक्ति करनी होगी। अगर बैंक अपने ऑडिटर को इस अवधि के दौरान हटाते हैं तो इसके लिए रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमति लेनी पड़ेगी।
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘एक ऑडिट फर्म एक ही इकाई में एक पूर्ण या एक कार्यकाल के एक हिस्से की अवधि पूरी करने के बाद 6 साल (दो कार्यकाल) के लिए पुनर्नियुक्ति की पात्र नहीं होगी। बहरहाल ऑडिट फर्म अनन्य इकाइयों के वैधानिक ऑडिट का काम जारी रख सकती है।’
एक ऑडिट फर्म एक साथ अधिकतम 4 वाणिज्यिक बैंकों के ऑडिट का काम कर सकती है, जिसमें एक से ज्यादा सरकारी बैंक या एक अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, सिडबी, एनएचबी, एग्जिम बैंक) या रिजर्व बैंक नहीं होंगे, 8 शहरी वाणिज्यिक बैंकों (यूसीबी) और 8 एनबीएफसी की ऑडिट एक खास साल के दौरान कर सकती है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि यह आवश्यक पात्रता मानदंड व प्रत्येक इकाई की अन्य शर्तों के अनुपालन के अधीन होगा।
ऑडिट फर्मों को संबंधित वर्ष में 31 जुलाई के पहले आवेदन करना होगा और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को रिजर्व बैंक से पात्र ऑडिट फर्मों की सूची प्राप्त होने के एक महीने के भीतर रिजर्व बैंक से संपर्क करना होगा।
खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने कहा, ‘इन दिशानिर्देशों से व्यापक पारदर्शिता और ऑडिटरों की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी। साथ ही सिसे ऑडिट मानकों में भी सुधार होगा। बैकों/एबीएफसी में ऑडिटरों की ऊपरी सीमा भी रखी गई है, जिससे हितों का टकराव और एकाधिकार को कम किया जा सके। टकराव कम करने व ऑडिटरों की स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए दिशानिर्देशों में यह भी साफ किया गया है कि साझा पार्टनर की ऑडिट फर्में और एक ही नेटवर्क की फर्में एक इकाई मानी जाएंगी। कुल मिलाकर यह रिजर्व बैंक का बहुत जरूरी और महत्त्वपूर्ण कदम है।’
