नकदी से लबालब लेनदार कोविड महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित पर्यटन व आतिथ्य सत्कार जैसे क्षेत्रों को फंडों का लगातार प्रवाह सुनिश्चित करने की खातिर शायद ही भारतीय रिजर्व बैंक के 15,000 करोड़ रुपये के विशेष विंडों का इस्तेमाल करेंगे। साथ ही लेनदारों से कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि बड़ी व बेहतर रेटिंग वाली कंपनियां पूरा का पूरा फायदा न उठाने पाए। उन्हें देखना होगा कि व्यावहारिक लेकिन कमजोर इकाइयों को इस झटके में सहारा मिले। बैंकर व रेटिंग एजेंसी के विश्लेषकों ने इसके अलावा यह भी कहा, सुनिश्चित करना होगा कि एलटीआरओ के पहले संस्करण का अनुभव दोबारा न हो। पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एस एस मल्लिकार्जुन राव ने कहा, नकदी की इस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि कोरोना से इस क्षेत्र की प्रभावित कंपनियों व एमएसएमई को क्रेडिट का प्रवाह हो।
इस राय का समर्थन करते हुए इंडियन बैंक एसोसिएशन के चेयरमैन राजकिरण राय जी. ने कहा, आरबीआई ने सुनिश्चित किया है कि हर जरूरतमंद क्षेत्रों को फंडिंग मुहैया कराने के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध है, वहीं इसका समान वितरण भी सुनिश्चित होना चाहिए। इस योजना से जिन क्षेत्रों को फायदा मिलेगा उनमें होटल, रेस्तरां, पर्यटन (ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटर, एडवेंचर/हैरिजेट सुविधा वाले) विमानन से जुड़ी सहायक सेवाएं मसलन ग्राउंड हैंडलिंग व आपूर्ति शृंखला, प्राइवेट बस ऑपरेटर, कार मरम्मत सेवा, स्पा क्लिनिक्स और ब्यूटी पार्लर/सलून शामिल हैं।
आरबीआई ने कहा है कि बैंकों को इस योजना के तहत अलग कोविड लोनबुक बनानी होगी। साथ ही प्रोत्साहन पाने के लिए बैंक कोविड लोनबुक के बराबर की सरप्लस नकदी उनके पास जमा करा सकते हैं, जो इस योजना के तहत बनाई गई है। यह आरबीआई के रिवर्स रीपो के तहत होगा, जो रीपो दर से 25 आधार अंक कम है। अभी रीपो दर 4 फीसदी है।
इक्रा के उपाध्यक्ष (वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग) अनिल गुप्ता ने कहा, बैंंकिंग में उपलबब्ध सरप्लस नकदी को देखते हुए बैंक आरबीआई की इस सुविधा के तहत शायद ही सीधे तौर पर रकम उठाएंगे। हालांकि रिवर्स रीपो पर 40 आधार अंक का अतिरिक्त प्रोत्साहन लेनदारों को इन क्षेत्रों को उधारी देने के मामले में कुछ प्रोत्साहन दे सकता है। ये क्षेत्र पिछली तिमाही के मुकाबले इस तिमाही में मांग में 30 से 50 फीसदी की गिरावट का सामना कर सकते हैं।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक सुबोध राय ने कहा, संभावना यह है कि सिर्फ बड़े देनदारों को ही वास्तव मेंं इस योजना का फायदा मिलेगा क्योंकि बैंकों को उनके साथ ज्यादा सहजता मिल सकती है। मौजूदा माहौल में कुछ लेनदार जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे, ऐसे में इस सुविधा का लाभ छोटे व कम रेटिंग वाली कंपनियों तक शायद नहींं पहुंच पाएगा।
साथ ही आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि उसने पुनर्गठन 2.0 योजना के तहत उधार लेने वालों के कवरेज का विस्तार किया है। अब एमएसएमई, गैर-एमएसएमई (छोटे कारोबार वाले) और वैयक्तिक स्तर पर दिए गए 50 करोड़ रुपये तक के कर्ज पुनर्गठन के पात्र होंगे, जिसकी सीमा पहले 25 करोड़ रुपये तय की गई थी।
क्रिसिल के आकलन के मुताबिक, उसकी रेटिंग पूल के तहत अतिरिक्त 1,300-1,400 छोटे आकार वाली फर्में संशोधित नियम के तहत पुनर्गठन की पात्र हो जाएंगी। यह अपेक्षाकृत कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल वाली कंपनियों को सहारा देगा।