भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने गुरुवार को कहा कि देश और उसके बैंकों को चालू खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए निश्चित तौर पर तैयार रहना चाहिए ताकि विदेशी निवेशकों की पहुंच पूरी तरह से भारतीय ऋण बाजार तक हो।
विदेशी एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, पूंजी की परिवर्तनीयता में बदलाव की दर में सिर्फ इजाफा ही होगा, इसके साथ यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी आएगी कि ऐसे प्रवाह का प्रबंंधन प्रभारी तरीके से हो।
पूरी तरह से पहुंच वाले मार्ग (एफएआर) के तहत विदेशियों की पहुंच कुछ विशेषीकृत प्रतिभूतियों 5 साल, 10 साल व 30 साल वाली में होगी। विचार है इसे वैश्विक सूचकांकों में शामिल करने का, जहां विदेशी निवेशक इन बॉन्डों में पूरी तरह से निवेश कर सकें।
डिप्टी गवर्नर के मुताबिक, समय के साथ पूरी सरकारी प्रतिभूतियां अप्रवासी निवेश की पात्र हो जाएंगी। उन्होंने कहा, अन्य देशों का अनुभव बताता है कि बकाया शेयर में अप्रवासी शायद ही अहम निवेश बनाए रख पाएंगे और ऋण में उनका निवेश भारत को अचानक निवेश निकासी के लिहाज से जोखिम भरा बना सकता है।
इंडेक्स के निवेशक शायद ही अचानक धन निकासी मेंं शामिल होंगे, लेकिन इस पर विचार होना चाहिए कि पूरी तरह से पहुंच वाले मार्ग (एफएआर) का लिक इंडेक्स से जुड़ाव के साथ होना चाहिए।
आने वाले समय में उदारीकृत प्रेषण योजना (जिसके तहत कोई भारतीय 2.5 लाख डॉलर हर वित्त वर्ष में विदेश भेज सकता है) की समीक्षा करनी होगी। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इसकी समीक्षा भी करने की दरकार पड़ सकती है कि क्या सीमा एकसमान रहनी चाहिए या उसे व्यक्तियों के लिए कुछ इकनॉमिक वेरिएबल से जोड़ा जा सकता है।
मुद्रा की परिवर्तनीयता से वित्तीय बाजारों का एकीकरण भी होगा। समय के साथ परिवर्तनीयता मेंं इजाफा होगा और मुद्राओं के देसी-विदेशी बाजारों व ब्याज दरों का जुड़ाव हो जाएगा। आरबीआई ब्याज दर डेरिवेटिव सेगमेंट में ऐसा करने के लिए आगे बढ़ा है, वहीं रुपये के लिए एनएफडी बाजार भी इस दिशा में एक कोशिश है।
एनडीएफ मेंं भारतीय बैंकों के प्रवेश के बाद स्प्रेड सिकुड़ा है और विदेशियों के पास अंत में रुपये वाले संसाधन होंगे, अगर स्थानीय बॉन्ड विदेशी बाजारों में उपलब्ध हों। उन्होंने कहा, हमें इस विचार करना चाहिए कि क्या भारत ऐसे अप्रवासी को रुपये वाले खाते की इजाजत देने को तैयार है। रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए यह अहम कदम होगा, ऐसे में इस पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए।
ज्यादा एकीकरण के साथ यह भी अहम है कि देसी बाजार में कीमत पारदर्शी हो और सबके लिए फायदेमंद हो। लेकिन व्यक्ति और छोटी फर्मों को बैंक अच्छी कीमत देने से इनकार करते हैं। डिप्टी गवर्नर ने विदेशी एक्सचेंज ट्रेडिंग के लिए खदरा प्लेटफॉर्म को पर्याप्त अहमियत देने पर लेनदारों आलोचना की क्योंकि ऐसा करना उनके हित में नहींं है।
रविशंकर ने कहा, तकनीक के युग में बेहतर तकनीक से दूर रहना वास्तव में संभव नहीं है। प्लटफॉर्मके इस्तेमाल पर बहस होनी चाहिए और बैंकों को उचित ट्रायल की कोशिश करनी चाहिए।
पूंजी खाते की परिवर्तनीयता के साथ कुछ जोखिम व चुनौतियां आएंगी और बाजार के प्रतिभागियों खास तौर से बैंकों को इसके लिए तैयार रहना होगा।
