facebookmetapixel
दूसरे चरण के लोन पर कम प्रावधान चाहें बैंक, RBI ने न्यूनतम सीमा 5 फीसदी निर्धारित कीभारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर जल्द सहमति की उम्मीद, ट्रंप बोले—‘हम बहुत करीब हैं’बीईई के कदम पर असहमति जताने वालों की आलोचना, मारुति सुजूकी चेयरमैन का SIAM के अधिकांश सदस्यों पर निशानाइक्जिगो बना रहा एआई-फर्स्ट प्लेटफॉर्म, महानगरों के बाहर के यात्रियों की यात्रा जरूरतों को करेगा पूरासेल्सफोर्स का लक्ष्य जून 2026 तक भारत में 1 लाख युवाओं को एआई कौशल से लैस करनाअवसाद रोधी दवा के साथ चीन पहुंची जाइडस लाइफसाइंसेजQ2 Results: ओएनजीसी के मुनाफे पर पड़ी 18% की चोट, जानें कैसा रहा अन्य कंपनियों का रिजल्टअक्टूबर में स्मार्टफोन निर्यात रिकॉर्ड 2.4 अरब डॉलर, FY26 में 50% की ग्रोथसुप्रीम कोर्ट के आदेश से वोडाफोन आइडिया को एजीआर मसले पर ‘दीर्घावधि समाधान’ की उम्मीदछोटी SIP की पेशकश में तकनीकी बाधा, फंड हाउस की रुचि सीमित: AMFI

बैंकों की सेहत का नुस्खा

Last Updated- December 10, 2022 | 10:04 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक बैंकिंग क्षेत्र की हालत और बेहतर करने के लिए सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करनी चाहिए और सरकारी बैंकों के विलय को भी हरी झंडी दे देनी चाहिए।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन की अगुआई वाली वित्तीय समिति ने बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी खिलाड़ियों को भी धीरे-धीरे प्रवेश देने की सिफारिश की है। समिति के मुताबिक पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता की ओर भी सरकार को कदम बढ़ाने चाहिए।
इसके अलावा ऋण डेरिवेटिव्स और संपत्ति प्रतिभूतियों के लिए भी बाजार का विकास करना चाहिए। समिति ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट आज सार्वजनिक की।

First Published - March 30, 2009 | 8:03 PM IST

संबंधित पोस्ट