क्या बैंकिंग संकट टल गया है?
यदि वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने हालात सुधारने में सक्रियता नहीं बढ़ाई तो ताजा बैंकिंग सेक्टर संकट बेहद गंभीर रूप ले सकता है। यूरोप में भी, इस तरह का संकट टल गया, क्योंकि स्विस नियामकों ने क्रेडिट सुइस को 54 अरब डॉलर की उधारी देने में दिलचस्पी दिखाई। हालांकि अमेरिकी नियामक ने सिलिकन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक की जमाएं सुरक्षित बनाई हैं, लेकिन अब इसकी आशंका बनी हुई है कि किसी और बैंक में संकट पैदा न हो जाए। अमेरिकी क्षेत्रीय बैंकों के शेयर भाव में लगातार गिरावट आई है, क्योंकि निवेशक मान रहे हैं कि केंद्रीय बैंक जमाकर्ताओं की मदद करेंगे, न कि इक्विटी निवेशकों की।
क्या वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए समस्याएं बढ़ रही हैं?
पिछले 12 महीनों के दौरान ब्याज दरों में तेज वृद्धि के अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं। हालांकि हमने अब कुछ समस्याओं की पहचान की है, लेकिन बाजारों की रफ्तार बरकरार रह सकती है। अच्छी खबर यह है कि बॉन्ड प्रतिफल तेजी से घटा है और दो वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल 5 से घटकर 4 प्रतिशत रह गया है। इससे संकेत मिलता है कि अमेरिकी फेड दरों में 25 आधार अंक तक का इजाफा करेगा जबकि शुरू में 50 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया गया था। ऐसे अनुमान भी हैं कि अब दर वृद्धि नहीं होगी। वैकल्पिक तौर पर, बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए उधारी परिदृश्य में बदलाव का संकेत हो सकती है।
क्या 25 आधार अंक की दर वृद्धि होगी?
हमारा मानना है कि फेड 25 आधार अंक की दर वृद्धि करेगा और फिर किसी आगामी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस पर विराम लगाएगा। यह चिंता वित्तीय क्षेत्र से हो सकती है। इस रणनीति से जुड़ा जोखिम यह है कि आय में ठहराव आ सकता है और आखिरकार आय अनुमानों में कमी को बढ़ावा मिल सकता है।
क्या अब मूल्यांकन अनुकूल हो गया है?
भारतीय बाजार में ताजा बिकवाली से मूल्यांकन दीर्घावधि औसत के नजदीक आ गए हैं। हालांकि उभरते बाजारों (EM) के संदर्भ में, मूल्यांकन कुछ ऊंचे बने हुए हैं। हमारा मानना है कि वैश्विक मंदी की वजह से 2023 की पहली छमाही में आय पर दबाव देखा जा सकता है, और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत होने में कुछ वक्त लगेगा।
क्या दीर्घावधि केलिए शेयरों के खास चयन पर ध्यान देने के लिए यह अच्छा समय है?
ऐसे चेरी-पिकिंग थीम पर ध्यान देना समझदारी है जो अल्पावधि और दीर्घावधि, दोनों के लिए अच्छा दांव साबित हो सकें। हम खासकर जिन थीमों को पसंद कर रहे हैं, उनमें रक्षा खर्च और अक्षय ऊर्जा में निवेश, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक में आपूर्ति, स्थानीय यात्रा, हॉस्पिटैलिटी और विमानन मुख्य रूप से शामिल हैं। वहीं भारत की मजबूत वृद्धि को देखते हुए बैंकिंग हमारे लिए एक प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है।
विदेशी पूंजी प्रवाह के लिए आगामी राह कैसी रहेगी?
दीर्घावधि के संदर्भ में हमारा मानना है कि जब फेड दर वृद्धि बंद करेगा, निवेशक तेजी की संभावना तलाशेंगे और ईएम उनकी पसंदीदा परिसंपत्तियों में शुमार होगा।
मुख्य तौर पर, वर्ष की पहली छमाही के दौरान ईएम में प्रवाह चीन/कोरिया/ताइवान जैसे निर्यातक देशों की ओर केंद्रित रहेगा। फिर भी हम सूचकांकों में अपने भारांक को देखते हुए प्रवाह आकर्षित करेंगे।
कई विदेशी निवेशकों ने वर्ष 2022 के दमदार प्रदर्शन और मौजूदा ऊंचे मूल्यांकन को देखते हुए मौजूदा समय में भारत पर नकारात्मक रुख अपनाया है। दूसरी छमाही में पूंजी प्रवाह तेज हो सकता है, क्योंकि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज हो रही है और आय अनुमानों में सुधार का भी असर दिखेगा।
क्या स्थानीय पूंजी प्रवाह बना रहेगा?
स्थानीय निवेशक मुख्य तौर पर एसआईपी के जरिये इक्विटी में अपना निवेश लगातार बढ़ाएंगे। मौजूदा समस्याओं के बाद भी बाजार मजबूत बने रहेंगे। परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर डेट योजनाएं ऊंचे प्रतिफल और बढ़ती पूंजी की वजह से ज्यादा आकर्षक बन रही हैं। यदि फेड की सख्ती का चक्र समाप्त होता है तो यह पूंजी यहां आ सकती है।