सरकार बैंकिंग एवं वित्तीय खंड को नई निजीकरण नीति के अंतर्गत ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के तहत लाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इससे जुड़ी रूपरेखा करीब-करीब तैयार होने वाली है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के 4 बैंकों के निजीकरण पर भी चर्चाएं हुई हैं। ये बैंक हाल में बैंकिंग क्षेत्र में हुए विलय का हिस्सा नहीं रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ प्रोत्साहन उपाय के तौर पर नई निजीकरण नीति की घोषणा की थी। इस नीति के अनुसार सरकार ‘रणनीतिक क्षेत्रों’ की एक सूची तैयार करेगी। प्रत्येक रणनीतिक क्षेत्र में चार से अधिक सरकार नियंत्रित इकाइयां नहीं होंगी। हाल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आपस में विलय के बाद इस समय सार्वजनिक क्षेत्र में 12 बैंंक काम कर रहे हैं। कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण की चर्चाओं पर अधिकारी ने कहा,’रणनीतिक क्षेत्र में शामिल किए जाने के लिए बैंकिंग खंड एक स्पष्ट विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के ऐसे सरकारी बैंकों के निजीकरण की चर्चाएं भी चल रही हैं, जो समेकन योजना में अब तक शामिल नहीं रहे हैं। हमने इस मसले पर भी चर्चा की है।’ अधिकारी ने कहा कि सरकार भविष्य में सार्वजनिक क्षेत्र में चार दिग्गज बैंक तैयार करना करना चाहती है। अधिकारी ने कहा कि फिलहाल चर्चा शुरुआती स्तर पर ही है और सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। नई निजीकरण नीति की घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण या सरकार में किसी ने कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है, हालांकि इस संबंध में विस्तृत जानकारी जल्द आने की उम्मीद है। अधिकारियों ने कहा कि कोई क्षेत्र ‘रणनीतिक’ या ‘गैर-रणनीतिक’ घोषित किए जाने के बाद इसके अंतिम मुकाम तक पहुंचने के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं होती है। गैर-रणनीतिक क्षेत्र से सरकार पूरी तरह निकलने पर विचार कर रही है।
30 अगस्त 2019 को केंद्र ने कुछ सरकारी बैंकों के आपस में विलय की घोषणा की थी, जिसके बाद इनकी संख्या 18 से कम होकर 12 रह गई है। इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब ऐंड सिंध बैंक का अब तक विलय नहीं हुआ है। सीतारमण ने कहा था कि चूंकि, इन बैंकों का क्षेत्रीय स्तर पर खासा जोर है, इसलिए वे पहले की तरह ही
कारोबार करते रहेंगे। वित्त मंत्री ने 17 मई को नई निजीकरण नीति की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, ‘अधिसूचित रणनीतिक क्षेत्र में केवल चार सरकारी उद्यम ही रहेंगे। इनकी संख्या सीमित रखने के लिए इनका आपस में विलय किया जाएगा।’ वित्त मंत्री ने कहा था कि निजी क्षेत्र भी रणनीतिक क्षेत्रों में आ सकता है।
उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम तय क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम एक ऐसी योजना लेकर आएंगे, जिसके तहत निजी क्षेत्रों को भी प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और सार्वजनिक उद्यम भी साथ में अपना योगदान देते रहेंगे।’ सरकार के इस कदम से मालिकाना नियंत्रण बदलेगा और कारोबार का पुनर्निर्धारण होगा, साथ ही केंद्र की निजीकरण योजना को बल मिलेगा। हालांकि इस प्रस्ताव से मौजूदा विनिवेश योजनाओं पर असर नहीं होगा।
