भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकों के ऋण में 24 फरवरी, 2023 को समाप्त पखवाड़े में पिछले साल की समान अवधि में 15.3 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और यह 134.50 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
जनवरी 2022 के मध्य तक ऋण में वृद्धि करीब 16.5 प्रतिशत रही है, वहीं एक साल पहले की तुलना में यह वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से ज्यादा रही है, जब बैंकिंग की ऋण वृद्धि दर 9 प्रतिशत के आसपास थी।
अब तक ऋण में वृद्धि टिकाऊ खुदरा कर्ज की मांग, एनबीएफसी की मजबूत मांग और महंगाई दर की वजह से कार्यशील पूंजी की मांग से संचालित रही है।
बहरहाल बैंकिंग व्यवस्था की जमा में वृद्धि भी 24 फरवरी को समाप्त पखवाड़े में 10.1 प्रतिशत रही है। इसके पहले के पखवाड़े में जमा में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10.2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
बैंकों के लिए फरवरी और मार्च व्यस्त महीने होते हैं। ऐसे में बैंकिंग व्यवस्था में आगे कर्ज की मांग में और बढ़ोतरी हो कती है। लेकिन कर्ज में बढ़ोतरी की रफ्तार कुछ वजहों से कम हो सकती है, जिसमें ज्यादा आधार का असर, बढ़ी ब्याज दर और कार्यशील पूंजी ऋण की मांग कम होना शामिल है।
इसलिए वित्त वर्ष 24 में वित्त वर्ष 23 की तुलना में ऋण की वृद्धि में स्थिरता नजर आ सकती है।
इसी तरह से जमा में तेजी भी उतनी तेज रहने की संभावना नहीं है, भले ही बैंकों ने जमा दरें बढ़ाई हैं। जमा में वृद्धि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि से संचालित होती है और यह आगे स्थिर रहने की संभावना है।
इस समय कर्ज और जमा में वृद्धि का अंतर 540 आधार अंक (बीपीएस) है, जो इसके पहले 800 आधार अंक था। लेकिन यह अभी भी उच्च बना हुआ है।