पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक में फंसे जमाकर्ताओं को अपने धन के बारे में फैसला करने के लिए अगले साल तक इंतजार करना पड़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक पर प्रतिबंध 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है।
रिजर्व बैंक ने सेंट्रम समूह की सेंट्रम फाइनैंशियल सर्विसेज और रेसिलिएंट इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित डिजिडल भुगतान सेवा प्रदाता भारतपे को लघु वित्त बैंक स्थापित करने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी, जिसे लेकर जमाकर्ताओं के बीच अच्छी खासी चर्चा थी। यह मंजूरी पीएमसी बैंंक को बहाल करने की योजना के तहत दी गई थी और कंसोर्टियम को बैंक की स्थिति सुधारनी थी।
रिजर्व बैंक ने 3 नवंबर, 2020 को पीएमसी बैंक के पुनर्निर्माण के प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। रेसिलिएंट इनोवेशन के साथ सेंट्रम ने अपना रुचि पत्र 1 फरवरी को दाखिल किया, जिसे 18 जून को रिजर्व बैंक की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई। फर्म को लघु वित्त बैंक (एसएफबी) गठित करने के लिए 120 दिन का वक्त दिया गया। योजना के मुताबिक पीएमसी बैंक का विलय इस एसएफबी के साथ होना है।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि ‘पूरी प्रक्रिया में शामिल विभिन्न गतिविधियों में लगने वाले वक्त को लेखते हुए’ यह विचार यिा गया कि प्रतिबंधों की तिथि बढ़ाया जाना आवश्यक है। रिवर्ज बैंक ने कहा कि कि यह प्रतिबंध इस महीने खत्म हो रहा है और नए प्रतिबंध 1 जुलाई से 21 दिसंबर तक लागू होंंगे, जो समीक्षा का विषय है। सेंट्रम ग्रुप के कार्यकारी चेयरमैन जसपाल बिंद्रा ने कहा था कि फर्म ने संयुक्त रूप से इस चरण में 1,800 करोड़ रुपये लगाने की योजना बनाई है, लेकिन विलय का खाका न होने के कारण यह स्पष्ट नहीं है कि पीएमसी बैंक की देनदारियां किस तरह से निपटाई जाएंगी। बहरहाल यह साफ था कि जमाकर्ता जल्द अपना धन निकालने में सक्षम नहीं होंगे, जब तक कि एसएफबी अस्त्वि में नहीं आ जाता है। रिजर्व बैंक ने पहली बार 23 सितंबर, 2019 को प्रतिबंध लगाया था, जब यह पाया गया कि बैंक के 8,000 करोड़ रुपये का का दो तिहाई कर्ज खराब कर्ज में बदल गया है।