facebookmetapixel
₹238 से लेकर ₹4,400 तक के टारगेट्स! ब्रोकरेज ने इन दो स्टॉक्स पर दी खरीद की सलाहDelhi AQI Today: दिल्ली में सांस लेना हुआ मुश्किल! ‘बहुत खराब’ AQI, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी₹9 तक का डिविडेंड पाने का आखिरी मौका! ये 5 कंपनियां 6 नवंबर को होंगी एक्स डेट परTata Motors CV के शेयर कब से ट्रेडिंग के लिए खुलेंगे! जानें लिस्टिंग की पूरी डिटेलAI को पंख देंगे AWS के सुपरकंप्यूटर! OpenAI ने $38 अरब की साझेदारी की घोषणाStock Market Today: शेयर बाजार की सुस्त शुरुआत; 3M इंडिया 12% चढ़ा, Godfrey Phillips 5% गिराStocks To Watch Today: Airtel, Titan, Hero Moto समेत इन स्टॉक्स पर रहेगा निवेशकों का फोकसभारत ने जीता पहला महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप, खिलाड़ियों की ब्रांड वैल्यू में 35% तक उछालप्राइवेट इक्विटी और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश पर KKR की नजर, भारत में लंबी पारी खेलने को तैयारकच्चे तेल का आयात अमेरिका से बढ़ा, रूस से सप्लाई दमदार

कई बैंकों के निशाने पर हैं बड़े बिंद्रा

Last Updated- December 08, 2022 | 2:46 AM IST

ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के पिता ए. एस. बिंद्रा ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों का करीब 75 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान नहीं किया है।


जिससे उन्हें डिफॉल्टर की सूची में डाल दिया गया है। बिंद्रा ने यह रकम 90 के दशक में भारतीय बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से पंजाब मीट लिमिटेड के तहत मांस प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए लिया था। जिन बैंकों का बिंद्रा पर बकाया है, उनमें स्टेट बैंक ऑॅफ हैदराबाद, आईडीबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और इंडसइंड बैंक शामिल हैं।

अब ये बैंक अपनी बकाया रकम की भुगतान के लिए कोर्ट की शरण में हैं। एक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैंक उनसे समझौता करने को तैयार हैं, लेकिन बिंद्रा बकाया रकम में एक फूटी कौड़ी भी देने को राजी नहीं हैं।

क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (भारत) लिमिटेड (सीआईबीआईएल) के आंकड़ों के मुताबिक, बिंद्रा पर 75 करोड़ रुपये का बकाया है। बैंकों की ओर से ए. एस. बिंद्रा के खिलाफ देश के विभिन्न अदालतों में मुकदमा दायर किया गया है।

उल्लेखनीय है कि बकाया चूक होने पर पहले रिजर्व बैंक की ओर से सालाना सूची जारी की जाती थी, लेकिन मार्च 2002 के बाद से यह काम सीआईबीआईएल के जिम्मे है। वही डिफॉल्टरों का आंकड़ा रखती है। जब इस मामले में ए.एस बिंद्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बैंकों की ओर से जितनी रकम की बात की जा रही है, असल में वह उससे बहुत कम है।

हालांकि जब उनसे सही रकम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताने से इनकार करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार के इशारे पर हो रहा है। दरअसल, सरकार नहीं चाहती है कि मैं राज्य में काम शुरू करूं। यही वजह है कि कारखाना बनकर तैयार है, लेकिन उसे शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। हमारी योजना काम शुरू होने पर करीब 7.5 करोड़ रुपये पब्लिक इश्यू से जुटाने की थी। लेकिन सरकार कंपनी को काम शुरू करने की इजाजत नहीं दे रही है।

First Published - November 9, 2008 | 11:42 PM IST

संबंधित पोस्ट