ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के पिता ए. एस. बिंद्रा ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों का करीब 75 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान नहीं किया है।
जिससे उन्हें डिफॉल्टर की सूची में डाल दिया गया है। बिंद्रा ने यह रकम 90 के दशक में भारतीय बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से पंजाब मीट लिमिटेड के तहत मांस प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए लिया था। जिन बैंकों का बिंद्रा पर बकाया है, उनमें स्टेट बैंक ऑॅफ हैदराबाद, आईडीबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और इंडसइंड बैंक शामिल हैं।
अब ये बैंक अपनी बकाया रकम की भुगतान के लिए कोर्ट की शरण में हैं। एक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैंक उनसे समझौता करने को तैयार हैं, लेकिन बिंद्रा बकाया रकम में एक फूटी कौड़ी भी देने को राजी नहीं हैं।
क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (भारत) लिमिटेड (सीआईबीआईएल) के आंकड़ों के मुताबिक, बिंद्रा पर 75 करोड़ रुपये का बकाया है। बैंकों की ओर से ए. एस. बिंद्रा के खिलाफ देश के विभिन्न अदालतों में मुकदमा दायर किया गया है।
उल्लेखनीय है कि बकाया चूक होने पर पहले रिजर्व बैंक की ओर से सालाना सूची जारी की जाती थी, लेकिन मार्च 2002 के बाद से यह काम सीआईबीआईएल के जिम्मे है। वही डिफॉल्टरों का आंकड़ा रखती है। जब इस मामले में ए.एस बिंद्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बैंकों की ओर से जितनी रकम की बात की जा रही है, असल में वह उससे बहुत कम है।
हालांकि जब उनसे सही रकम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताने से इनकार करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार के इशारे पर हो रहा है। दरअसल, सरकार नहीं चाहती है कि मैं राज्य में काम शुरू करूं। यही वजह है कि कारखाना बनकर तैयार है, लेकिन उसे शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। हमारी योजना काम शुरू होने पर करीब 7.5 करोड़ रुपये पब्लिक इश्यू से जुटाने की थी। लेकिन सरकार कंपनी को काम शुरू करने की इजाजत नहीं दे रही है।