पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को प्राप्त हुए कॉर्पोरेट ऋण के पुनर्गठन प्रस्तावों में से केवल करीब 20 फीसदी ने ही मौजूदा महामारी के दौरान ऋण पुनर्भुगतान पर स्थगन का लाभ लिया था। पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है। पीएनबी प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एसएस मल्लिकार्जुन राव ने पिछले हफ्ते एक कॉन्फ्रेंस कॉल में निवेशकों को कहा था, ‘कार्पोरेट पुनर्गठन के लिए निर्णीत 15 प्रस्तावों में से केवल तीन ही ऋणस्थगन के तहत थे।’
बैंक को कॉर्पोरेट ऋणों के पुनर्गठन के लिए 15 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिनकी रकम 2,200 करोड़ रुपये है। इनमें से चार एक कंसोर्टियम का हिस्सा हैं। 11 ऋणों की रकम छोटी है जबकि एक की रकम बड़ी है और यह खुदरा क्षेत्र से संबंधित है। अब तक देश के इस दूसरे सबसे बड़े बैंक ने खुदरा और लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 41 करोड़ रुपये मूल्य के पुनर्गठन आवेदनों पर कार्रवाई की है और उसे ऐसे ही 30 करोड़ रुपये के और ऋणों के लिए अनुरोध मिला है। बैंक को उम्मीद है कि दिसंबर, 2020 जब पुनर्गठन के लिए खिड़की बंद हो जाएगी, से पहले 4,000 करोड़ रुपये से 5000 करोड़ रुपये की खुदरा और एमएसएमई ऋणों का पुनर्गठन किया जाएगा।
बैंक ने तेजी से उन खातों के रुझानों में संशोधन किया है जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से कोविड-19 संबंधी तनावों से मुकाबले के लिए अगस्त मे घोषित विशेष उपाय के तहत एकबारगी पुनर्गठन की जरूरत पड़ सकती है। उसका अनुमान है कि 20,000 करोड़ रुपये की ऋण रकम वाले कर्जदारों को पुनर्गठन की जरूरत पड़ेगी। कंपनी के लोन बुक में इन कर्जदारों की भागीदारी 3 फीसदी है। पहले बैंक ने यह अनुमान 40,000 करोड़ रुपये वाले कर्जदारों के लिए जाहिर किया था। राव ने निवेशकों से कहा, ‘कुल 2.4 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के खातों तक मॉरेटोरियम का विस्तार किया गया, लेकिन हमारी निगरानी 48,000 करोड़ रुपये राशि तक सीमित है। इसके पहले 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के ऐसे खाते थे, जिनकी 3 से ज्यादा किस्तों का भुगतान नहीं हुआ था। अब यह घटकर 48,000 करोड़ रुपये रह गया है।’
