साल में यही समय होता है जब करदाता अपना टैक्स रिटर्न भरने के लिए दौड़-भाग शुरू कर देते हैं।
जब भी आप रिटर्न भरें यह जरूर ध्यान रखें कि उसमें सारी जानकारियां दी जाएं और सही धाराओं के अनुसार ब्योरा भरा जाए। याद रखिए कि इसमें अगर कोई गड़बड़ी हुई तो बाद में आपको परेशानी हो सकती है।
आपको आयकर विभाग दबोच सकता है। आपको अर्थदंड के रुप में न केवल धन भी जाया करना पड़ सकता है बल्कि वक्त भी जाया करना पड़ेगा। मेहनत करनी पड़ेगी सो अलग। यहां हम आपको कुछ आम गलतियां बता रहे हैं जो अक्सर लोग रिटर्न फाइल करते समय कर देते हैं। वे या तो पूरी सूचना नहीं भरते या फिर आधी-अधूरी भरकर रह जाते हैं।
अधूरी जानकारी भरना
नए फार्म में कुछ ऐसे खाने हैं जिनमें करदाता को सही जानकारी भरनी पड़ती है। कई मामलों में ऐसा होता है जब वे कई खानों को छोड़ देते हैं। इसका एक अच्छा उदाहरण वेतनभोगी हैं। फार्म आईटीआर 2 में वेतनभोगी कर्मचारी को अपने मालिक का नाम और पूरा पता लिखना होता है। इस बारे में कुछ विशिष्ट धाराएं हैं जहां यह जानकारी देनी होती है।
गृह संपत्ति के मामले में मालिक के लिए यह बताना जरूरी है कि उसकी संपत्ति किस जगह है? अक्सर ये धाराएं खाली छोड़ दी जाती हैं। बाद में जब पूछताछ की जाती है तो परेशानी होती है क्योंकि आपने फार्म में तो जानकारी भरी ही नहीं होती। इसके लिए बस थोड़ा सा होमवर्क करने की जरूरत होती है ताकि सभी जानकारी पूरी-पूरी और सही-सही भरी जाएं।
बचत बैंक खाते का ब्याज
इसी तरह बचत बैंक खाते पर मिलने वाला ब्याज है। यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण जानकारी होती है पर अक्सर कई लोग इसे छोड़ देते हैं। भले ही बचत खाते की राशि बहुत मामूली हो और आपको महत्त्वपूर्ण न लगे पर जरूरी है कि आप को जो भी आय हो आप उसे बताएं। उदाहरण के लिए बचत बैंक खाते में ब्याज से हुई आय भले ही कुछ सौ रुपये हो पर इसे भरा जाना चाहिए क्योंकि आखिरकार यह है तो आमदनी ही। पर अगर आपने इसे अपने ब्योरे में भरा नहीं है तो यह आपके नाम कर अदायगी के रुप में बोलेगी।
कैपिटल गेन को नजरअंदाज करना
जब आप म्युचुअल फंडों के सिस्टेमैटिक प्लान के जरिए निवेश करते हैं या योजनाओं को बदलते हैं यानी एक से दूसरी योजना में जाते हैं तो भले ही इसमें बैंक के साथ कोई सीधा लेन-देन न हुआ हो पर फिर भी इसमें म्युचुअल फंड की एक से दूसरी योजना में धन का हस्तांतरण तो होता ही है। इसलिए आपको सही जानकारी भरनी चाहिए। अक्सर इस तरह के धन हस्तांतरण को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इनसे अगर कोई पूंजी लाभ हुआ है तो उसकी अधिकारियों को जानकारी दी जानी चाहिए।
कितनी राशि पर पूंजी लाभ कर लगेगा, यह अलग-अलग हो सकता है पर यह ध्यान रखना जरूरी है कि बाद में जाकर कहीं इसे लेकर झंझट न खड़ा हो। कभी-कभी किसी वित्तीय वर्ष के दौरान नौकरी बदलने पर आपको दोनों मालिकों को अपने निवेश के दो प्रमाण देने पड़ते हैं। आपको एक ही निवेश पर तब दोहरा लाभ हो जाता है जब दोनों नौकरी प्रदाता एक लाख रुपये के निवेश को स्वीकार कर लेते हैं और अपने कर्मचारी को लाभ दे देते हैं। अब मामला आप पर आकर टिक जाता है क्योंकि आप ही को सुनिश्चित करना होता है आप कोई दोहरा लाभ न लें वरना आगे चलकर आप पर कर की भारी देनदारी हो जाएगी।
असंगत विवरण
कई मामलों में आयकर रिटर्न भरते समय दिए गए ब्योरे में विसंगति होती है। जैसे राष्ट्रीय बचत पत्रों (एनएससी) से प्राप्त ब्याज नहीं दिखाया जाना या ऐसे निवेश दिखा देना जो प्राप्त आय के अनुसार जायज नहीं होते। इनमें से कुछ वाकई गलती से किए हो सकते हैं लेकिन दूसरों को आपको ठीक से बताना पड़ेगा।
अगर यह ठीक तरीके से नहीं किया गया तो बहुत संभव है कि आयकर विभाग ऐसे कई करों की मांग कर दे जिन्हें टाला जा सकता था। उदाहरण के लिए विरासत में मिली संपत्ति पर आपको भारी निवेश करना पड़ सकता है भले ही उस वित्तीय वर्ष में आपकी आय काफी कम रही हो।
ऐसी स्थिति में , जब तक कि संपत्ति घोषित न हो, निवेश के लिए धन के स्रोत पर कर देनदारी भी ज्यादा हो सकती है। सार में कहें तो बात यह है कि साधारण किस्म की गलतियां मत होने दीजिए और सभी तथ्यों को खुलासा करके चिंता मुक्त हो जाइए।
लेखक प्रमाणित वित्त सलाहकार हैं।