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दमदार मार्केटिंग नेटवर्क है अरबिंदो की नैया

Last Updated- December 10, 2022 | 7:21 PM IST

जेनरिक दवा निर्माता मान्यताप्राप्त दवाओं के अपने पोर्टफोलियो की क्षमता को हासिल करने के लिए अपने मार्केटिंग नेटवर्क को मजबूत बनाए जाने की संभावना तलाश रही है।
हैदराबाद की यह दवा निर्माता कंपनी एंटीबायोटिक, एंटीरेट्रोवायरल्स, कार्डियोवास्कलर सिस्टम (सीवीएस) , गैस्ट्रोइंटेरेलॉजिकल्स, सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) और एंटीएलर्जिक्स की 6 चिकित्सा श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित करती है।
कंपनी को अमेरिका के एफडीए से 92 एब्रीविएटेड न्यू ड्रग एप्लीकेशन (एएनडीए) की अनुमति मिल चुकी है। अपनी वितरण ताकत बढ़ाने के लिए कंपनी ने हाल में ही वैश्विक दवा कंपनी फाइजर के साथ अपने गठजोड़ का विस्तार किया है।
शुरुआती बढ़त
जहां पिछले साल पांच दवाओं की बिक्री के लिए दोनों कंपनियों ने एक समझौता किया था वहीं इसने फाइजर की सहायक कंपनी ग्रीनस्टोन से हाल ही में करार किया है जिससे कंपनी को सीएनएस और सीवीएस श्रेणियों में बड़े पैमानों पर अपने उत्पादों के लिए विपणन अधिकार हासिल हो गया है।
फाइजर अमेरिका में 39, यूरोप में 20 और फ्रांस में 11 सॉलिड ओरल खुराक उत्पाद बेचेगी। कंपनी ने फाइजर को अमेरिका और यूरोप में 12 स्टेराइल इंजेक्टेबल प्रोडक्ट (पेनिसिलीन और केफालोस्पोरिंस) बेचने का भी अधिकार दे दिया है। विश्लेषकों का अनुमान है कि दवाओं का बाजार आकार लगभग 1,000 करोड़ रुपये होगा।
अपने पोर्टफोलियो को भुनाने के लिए संघर्ष कर रही अरबिंदो के लिए यह सौदा न सिर्फ मजबूत वितरण और तेज नकदी प्रवाह सुनिश्चित करेगा बल्कि अधिकतम क्षमता उपयोग भी सुनिश्चित करेगा। फिलहाल इसके निर्माण संयंत्रों पर क्षमता उपयोग 40 फीसदी के स्तर पर है जबकिं इसके एपीआई संयंत्रों पर यह 70 फीसदी के स्तरों पर है।
हालांकि अरबिंदो की 100 देशों में उपस्थिति कायम है, लेकिन वितरण के लिहाज से इसे ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी है। फाइजर इसे 270 अरब डॉलर के नन-एक्सक्लूसिव मार्केट ड्रग सेगमेंट में मौका मुहैया करा सकती है।
अमेरिकी कंपनी ने पिछले साल एक इस्टेैबलिश्ड प्रोडक्ट्स बिजनेस यूनिट्स सेगमेंट विकसित किया क्योंकि उसे उम्मीद है कि यह सेगमेंट अगले पांच साल में 85 फीसदी तक बढ़ कर लगभग 500 अरब डॉलर का हो जाएगा। 

अरबिंदो ने वित्त वर्ष 2010 तक 4000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है। उसे उम्मीद है कि इस भागीदारी से उसकी बिक्री में तेज उछाल आएगा।
बढ़ता निर्यात
गठबंधनों और अपने मजबूत विपणन ढांचे की बदौलत अरबिंदो बिक्री के लिए निर्यात का समानुपात वित्त वर्ष 2008 के 63 फीसदी से बढ़ कर वित्त वर्ष 2009 में बढ़ कर 65 फीसदी तक और वित्त वर्ष 2010 में 70 फीसदी हो जाने की संभावना है। इसका एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को की जाने वाली इसकी बिक्री में आए उछाल से हासिल हुआ है जो 330 करोड़ रुपये रहा है।
कंपनी का अनुमान है कि उसका अमेरिकी कारोबार वित्त वर्ष 2009 के अंत तक लगभग 500 करोड़ रुपये का होगा और वित्त वर्ष 2010 में इसमें 40 फीसदी का इजाफा दर्ज होगा। 

कंपनी द्वारा भविष्य में अच्छा विकास दर्ज करने की संभावना इसलिए भी प्रबल हो गई है, क्योंकि वित्त वर्ष 2004 की तीसरी तिमाही में यह सिर्फ एक एएनडीए हासिल करने में सफल रही थी, लेकिन यह संख्या अब बढ़ कर 145 हो गई है।
वित्त वर्ष 2010 में कंपनी को यूरोप में भी विकास की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद है, क्योंकि कंपनी ने अपना उत्पाद पोर्टफोलियो विकसित किया है और मार्केटिंग नेटवर्क को अपने दो अधिग्रहणों की बदौलत ताकत प्रदान की है। इन दो अधिग्रहणों में ब्रिटेन में मिलफार्म और नीदरलैंड में फार्मासिन का अधिग्रहण शामिल हैं।
लाभ पर है नजर
अरबिंदो सीवीएस, सीएनएस और गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिकल दवाओं की अधिक मार्जिन वाली श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिनकी निर्माण बिक्री में मौजूदा भागीदारी एक-तिहाई है। 

कंपनी ने अपने मिश्रित उत्पादों के निर्माण में भी इजाफा किया है। कंपनी ने अनुमान व्यक्त किया है कि वित्त वर्ष 2009 में इसकी कुल बिक्री के आधे हिस्से पर इसके द्वारा निर्मित दवाओं की भागीदारी होगी।

First Published - March 8, 2009 | 10:41 PM IST

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