वित्त-बीमा

ब्रिटिश बैंकों की भागीदारी पर गतिरोध दूर करने के लिए RBI और बैंक ऑफ इंगलैंड में करार

साल 2012 में यूरोपीय संघ ने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद अपनी व्यवस्था को मजबूत बनाने और सुरक्षित रखने के लिए बाजार ढांचे के नए कायदे अपनाए थे।

Published by
मनोजित साहा   
Last Updated- December 01, 2023 | 10:56 PM IST

भारतीय बॉन्डों और डेरिवेटिव बाजार में ब्रिटिश बैंकों की भागीदारी पर गतिरोध खत्म करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक ऑफ इंगलैंड ने आज एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। ब्रिटेन के कई बैंकों के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है।

रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा, ‘समझौते (एमओयू) के जरिये बैंक ऑफ इंगलैंड के लिए एक व्यवस्था तैयार होगी, जिससे ब्रिटेन के वित्तीय स्थायित्व को महफूज रखते हुए वह रिजर्व बैंक की नियामकीय व निगरानी गतिविधियों पर भरोसा करेगा।’

एमओयू पर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर और बीओई की डिप्टी गवर्नर (वित्तीय स्थायित्व) सारा ब्रीडन ने आज लंदन में हस्ताक्षर किए।

अक्टूबर 2022 में यूरोपियन सिक्योरिटीज ऐंड मार्केट अथॉरिटी (ईएसएमए) ने कहा था ​कि वह क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) समेत छह भारतीय क्लियरिंग हाउस की मान्यता खत्म कर देगा, जो सरकारी बॉन्डों और ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का काम करता है।

यह फैसला तब लिया गया, जब आरबीआई ने विदेशी इकाइयों को सीसीआईएल के ऑडिट व निरीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। ईएसएमए के फैसले के बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी ऐसा ही कदम उठाया, जो 30 जून से लागू होना था।

जनवरी में सीसीआईएल ने थर्ड कंट्री-सेंट्रल काउंटरपार्टी (टीसी-सीसीपी) के तौर पर मान्यता देने के लिए बैंक ऑफ इंगलैंड से संपर्क किया। बाद में ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय ने आरबीआई की तरफ से अधिकृत सेंट्रल काउंटरपार्टी को बराबर मानने का फैसला लिया।

एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद अब सीसीआईएल के आवेदन को बैंक ऑफ इंगलैंड की मंजूरी मिलने की संभावना है। यह कदम ब्रिटिश बैंकों मसलन स्टैंडर्ड चार्टर्ड, बार्कलेज और एचएसबीसी को राहत देगा, जो सरकारी बॉन्ड और ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप ट्रेडिंग और विदेश से आने वाले निवेश को संभालने में अहम भूमिका निभाते हैं।

आरबीआई ने कहा, ‘यह एमओयू अंतरराष्ट्रीय ​क्लियरिंग की गतिविधियों के लिए सीमापार सहयोग की महत्ता और अन्य नियामकीय क्षेत्रों का आदर करने की बैंक ऑफ इंगलैंड की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।’

आरबीआई के मुताबिक एमओयू से पता चलता है कि दोनों अथॉरिटी अपने नियम कानून के मुताबिक आपसी सहयोग बढ़ाने में कितनी दिलचस्पी रखते हैं। इससे बैंक ऑफ इंगलैंड थर्ड कंट्री सेंट्रल काउंटरपार्टी (सीसीपी) के रूप में मान्यता की सीसीआईएल की अर्जी का आकलन भी कर पाएगा, जिसके बाद ही ब्रिटेन के बैंक सीसीआईएल के जरिये लेनदेन को क्लियर कर सकेंगे।

साल 2012 में यूरोपीय संघ ने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद अपनी व्यवस्था को मजबूत बनाने और सुरक्षित रखने के लिए बाजार ढांचे के नए कायदे अपनाए थे। उनके तहत थर्ड कंट्री सेंट्रल काउंटरपार्टी को ईएसएमए से मंजूरी जरूरी है।

अमेरिकी बैंकों को पहले ही भारत में कुछ निश्चित डेरिवेटिव्स योजनाओं से दूर रखा गया है क्योंकि यूएस कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन ने सीसीआईएल को डेरिवेटिव्स क्लियरिंग ऑर्गनाइजेशन के तौर पर मान्यता नहीं दी है।

First Published : December 1, 2023 | 10:56 PM IST