उत्तर प्रदेश में तीन चरणों के चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने अपने भतीजे आकाश आनंद (Akash Anand) को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक पद से हटा दिया। आकाश को माया ने अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया था पर अब उस फैसले का पलट दिया है।
इतना ही नहीं शुरु में कई जगहों पर अपने प्रत्याशियों के बूते भाजपा के जातीय समीकरण को छिन्न भिन्न करती और उसे नुकसान पहुंचाती दिख रही मायावती ने उल्टा रुख अपनाना शुरु कर दिया है। भाजपा के खिलाफ अपनी रैलियों में हमलावर रहे भतीजे व अपने घोषित उत्तराधिकारी आकाश आनंद को मंगलवार देर रात माया ने सभी पदों से हटा दिया है। बीते तीन दिनों में मायावती ने भाजपा के लिए अहम मानी जानी वाली दो सीटों जौनपुर और बस्ती में अपने प्रत्याशी बदल कर भाजपा को राहत और विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किल पैदा की है। इतना ही नहीं आखिरी दो चरण की सीटों पर जहां अभी नामांकन बाकी है वहां पहले घोषित प्रत्याशियों को मायावती ने पार्टी सिंबल देने पर रोक लगा दी है। माना जा रहा है कि इन सीटों पर बसपा अब भाजपा के लिए मुफीद और इंडिया गठबंधन को दिक्कत करने वाले नाम सामने ला सकती है।
गौरतलब है कि बसपा में कुछ ही महीने पहले भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए मायावती ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया था। सबसे पहले आकाश को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। इस समय बसपा की ओर से लोकसभा सीटों पर आकाश ही स्टार प्रचारक की भूमिका में थे। आकाश उत्तर प्रदेश में बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में रैलियों में भाजपा के खिलाफ जमकर बोल रहे थे। पिछले हफ्ते सीतापुर में एक रैली में आकाश आनंद ने भाजपा की तुलना आतंकवादियों से की थी। उन्होंने उस रैली में मौजूद लोगों से कहा था कि भाजपा के लोग वोट मांगने आएं तो जूता, चप्पल और लाठी तैयार रखना। आकाश आनंद पर असंसदीय भाषा का प्रयोग करने व हिंसा भड़काने वाली धाराओं में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।
आकाश आनंद पर मुकदमा दर्ज होने के बाद सबसे पहले बसपा प्रमुख ने उनकी आगे की रैलियां व जनसभाएं रद्द कर दीं और उन्हें घर बैठ जाने को कहा। मंगलवार को मायावती ने आकाश आनंद को अपरिपक्व करार देते हुए उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक पद से हटा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि आकाश आनंद को वह अपने उत्तराधिकारी पद से भी मुक्त कर रही हैं।
इसके साथ ही बसपा प्रमुख अब अपने पहले से घोषित प्रत्याशियों को भी बदल रही हैं। जौनपुर में भाजपा ने गृह मंत्री अमित शाह की पसंद के उम्मीदवार महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री व कांग्रेस से आए कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है। कृपाशंकर के मुकाबले बसपा ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी और वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला को टिकट देकर भाजपा की राहें मुश्किल कर दी थीं। इस सीट पर सपा ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को उतारा है। धनंजय की पत्नी ने अपना नामांकन भी कर दिया था। माना जा रहा था कि उनके चुनाव लड़ने पर भाजपा के कृपाशंकर के लिए दिक्कत होती। ताजा घटनाक्रम में माया ने धनंजय की पत्नी का टिकट काट कर यहां के पूर्व सांसद श्याम सिंह यादव को खड़ा कर दिया। इसके पीछे धनंजय की ओर चुनाव लड़ने से इंकार को बताया गया। हालांकि धनंजय ने कहा कि उनसे पूछे बिना फैसला लिया गया जबकि वो पूरी ताकत से चुनाव लड़ रहे थे। इसी तरह बस्ती में भाजपा से आए कद्दावर नेता दयाशंकर मिश्र को पहले बसपा ने टिकट दिया जो कि भाजपा के हरीश द्विवेदी के लिए कांटे बो रहे थे। यहां बसपा ने सोमवार को बदलाव करते हुए लवकुश पटेल को टिकट दे दिया। सपा ने यहां से राम प्रसाद चौधरी को खड़ा किया है। अब सपा व बसपा दोनो के प्रत्याशी कुर्मी बिरादरी के हैं।
मायावती के टिकट बदलने को लेकर उन पर सीधा हमला बोलते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि मैं अपने बहुजन समाज के लोगों को कहूंगा कि बहुजन समाज पार्टी को वोट देना अपना वोट खराब करना है, वो बीजेपी का साथ दे रहे हैं चाहे सामने से चाहे पीछे से।