लोक सभा के लिए हुए चुनावों के परिणाम आने से दो दिन पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ बैठकें की। प्रधानमंत्री ने अगली संभावित सरकार के 100 दिन के एजेंडे की समीक्षा की और देश भर में भीषण लू की स्थिति से निपटने के आदेश दिए। उन्होंने पूर्वोत्तर के राज्यों में चक्रवात रेमल के कारण पैदा हुई बाढ़ के हालात की भी जानकारी ली। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में शीर्ष अफसरशाहों ने इन बैठकों में हिस्सा लिया।
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भीषण गर्मी में होने वाली आग की घटनाओं से तत्परता से निपटा जाए। अस्पतालों और सार्वजनिक भवनों में आग से निपटने के इंतजामों और बिजली का नियमित रूप से ऑडिट किया जाए। उन्होंने 5 जून को मनाए जाने वाले पर्यावरण दिवस मनाने की तैयारी की भी समीक्षा की।
देश में 543 लोक सभा सीट के लिए हाल ही में संपन्न चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी। शनिवार 1 जून को प्रसारित किए गए एग्जिट पोल में फिर भाजपा नीत राजग सरकार बनने की भविष्यवाणी की गई है। ये अनुमान यदि नतीजे में परिवर्तित हो जाते हैं तो मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
चुनाव शुरू होने से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उन्होंने अभी से अपनी अगली सरकार के शुरुआती 100 दिन की कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। यही नहीं, उन्होंने अपने मंत्रियों को भी नई सरकार के पहले 100 दिन के लिए अपने-अपने विभागों की प्राथमिकताएं और कार्यक्रम पेश करने का आदेश दिया था।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, देश के कुछ हिस्सों में लू की स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आग की घटनाओं को रोकने और उससे निपटने के लिए नियमित आधार पर उचित अभ्यास किए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जंगलों में ‘फायर लाइन’ के रखरखाव और बायोमास के उपयोग के लिए नियमित अभ्यास की योजना बनाई जानी चाहिए।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को बताया कि पूर्वानुमानों के अनुसार राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में अभी भीषण लू का प्रकोप जारी रहेगा। इस वर्ष देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून सामान्य और सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से नीचे रहने की संभावना है।
एक अन्य आधिकारिक बयान में कहा गया कि चक्रवात रेमल के बाद की स्थिति की समीक्षा के लिए हुई बैठक में मोदी को मिजोरम, असम, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा में भूस्खलन और बाढ़ के कारण जानमाल के नुकसान सहित विभिन्न राज्यों में इसके प्रभावों के बारे में जानकारी दी गई।
प्रधानमंत्री को बताया गया कि कैसे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम ने लोगों को बचाने, हवाई मार्ग से उन्हें निकालने और सड़क साफ करने का काम चलाया। बयान में कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ नियमित संपर्क में है।
बयान के अनुसार, मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार चक्रवात से प्रभावित राज्यों को पूर्ण समर्थन देना जारी रखेगी। बैठक में शामिल रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश में वनों में आग की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई, जिससे बड़े पैमाने पर जीवों की मौत और पर्यावरण को हानि होती है। एनडीआरएफ टीमों को पहाड़ी इलाकों में पूरी तरह सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। खासकर वहां, जहां आग लगने की आशंका अधिक रहती है, अधिकारियों को पर्याप्त इंतजाम करने को कहा गया।
बैठक में भीषण लू से होने वाली घटनाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा की गई तैयारियों की समीक्षा की गई। इस बात पर भी चर्चा की गई कि इन योजनाओं को राज्यों में किस प्रकार लागू किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि एनडीएमए और राज्यों के विभागों की निगरानी की जाएगी कि वे किस प्रकार इन योजनाओं को लागू कर रहे हैं। केंद्र सरकार को पूरा भरोसा है कि धीरे-धीरे मॉनसून आगे बढ़ेगा और देश को भीषण लू और गर्मी से निजात मिलेगी।
हीट एक्शन प्लान्स (एचएपी) ऐसी मानक संचालन प्रक्रिया होती होती है जिसके तहत राज्य सरकार और नागरिक विभागों को लू संबंधी प्रभावों से निपटने के लिए तैनात किया जाता है। पिछले साल सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) के अध्ययन में पाया गया था कि 37 एचएपी अपर्याप्त थे और उनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता का भी अभाव था। उत्तर प्रदेश में पिछले महीने लू से 160 लोगों की मौत हुई थी। बिहार में भी गर्मी संबंधी परेशानी के चलते पिछले सप्ताह 27 लोगों की जान चली गई थी।