Lok Sabha Elections Results: साल 1951-52 के बाद सबसे लंबे समय (81 दिन) तक चलने वाले चुनावी कार्यक्रम के परिणाम आने में महज कुछ ही घंटे बचे हैं। आज यानी 4 जून को 8,337 उम्मीदवारों के लिए EVM में सुरक्षित रखे फैसले को सुना दिए जाएंगे। मगर इन सबके बीच इन दिनों एक बात जो सबके जुबान पर है, वह है- क्या भाजपा भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर पाएगी या राजीव गांधी सरकार का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब हो जाएगी। जो कि एक बड़ी चुनौती है मगर पीएम मोदी उस आंकड़े को छूने की कई बार चर्चा कर चुके हैं। या फिर इन सबके इतर भाजपा का वही हाल होगा जो 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हुआ था। आइये जानते हैं:
मतगणना से पहले जिसका सबसे ज्यादा इंतजार रहता है वह है एग्जिट पोल। एग्जिट पोल की मानें तो भाजपा की अगुवाई वाले NDA को 316 से 400 के बीच सीटें मिलने की बात कही जा रही है, वहीं कांग्रेस का दावा है कि INDIA गठबंधन के खाते में इस बार 295 सीटें आएंगी। पीएम मोदी का दावा है कि भाजपा इस बार 400 सीटों का आंकड़ा पार कर ले जाएगी।
अब तक सिर्फ कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू ही लगातार तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं। अगर आज भाजपा की जीत होती है तो पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाएगी और पीएम मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे और नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करेंगे। और अगर भाजपा तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब नहीं रहती तो मोदी सरकार यह रिकॉर्ड हासिल करने से चूक जाएगी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार ये दावा करते आ रहे हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा 400 से ज्यादा सीटें हासिल कर लेगी। यहां तक कि पार्टी का नारा भी है- अबकी बार 400 पार। भारत के चुनावी इतिहास में आज तक सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है जब लोकसभा चुनाव में कोई पार्टी 400 का आंकड़ा पार कर पाई हो। वह समय था 1984 का। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद 1984 में लोकसभा चुनाव हुआ था और कांग्रेस को 414 सीटों पर जीत मिली थी। उस समय इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनाए गए। इसके साथ एक दिलचस्प बात यह भी है कि राजीव गांधी को कांग्रेस पार्टी में सबसे ज्यादा वोट मिला था। अमेठी लोकसभा सीट से करीब 3.15 लाख वोटों से राजीव गांधी जीते थे।
INDIA गठबंधन का मानना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव के परिणाम 2004 के तर्ज पर आएंगे। 2004 के लोकसभा चुनाव में एजिग्ट पोल अनुमान जता रहे थे कि भाजपा की अगुवाई वाले NDA को 240 से 275 सीटें मिलेंगी। लेकिन जब परिणाम आया तो सब हैरान हो गए। NDA को सिर्फ 187 सीटों पर जीत मिली, जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाले UPA को 216 सीटें हासिल हुईं।
उस समय चुनाव में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी मुख्य चेहरा और प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे। भाजपा ने ‘फील गुड फैक्टर’ और ‘इंडिया शाइनिंग’ का नारा दिया था। उस दौरान चुनाव प्रचार से ऐसा माहौल तैयार किया गया था कि भाजपा कि सरकार दोबारा सत्ता में लौट ही रही है। मगर जब परिणाम आए तो NDA को हार का सामना करना पड़ा था और मनमोहन सिंह की अगुवाई में कांग्रेस ने सत्ता संभाली।