Representative Image
पानी में घुलने वाले उर्वरक (डब्ल्यूएसएफ) के निर्यात पर चीन द्वारा लगाई गई सख्ती का भारत के आयात पर कोई असर नहीं हुआ है। डब्ल्यूएसएफ, जिन्हें स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर्स भी कहा जाता है, की भारत में आधी आपूर्ति चीन से होती है औरआशंका थी कि उसकी सख्ती से आयात में भारी गिरावट आएगी, लेकिन हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर तक प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ा है। इस दौरान नॉर्वे और रूस से इस उर्वरक के आयात में भारी वृद्धि हुई है।
पिछले कुछ वर्षों से भारत द्वारा आयात किए जा रहे स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर के निर्यात पर चीन समय-समय पर विशेष जांच और प्रतिबंध लगा रहा है। यह अप्रैल-मई 2025 से कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गया। अक्टूबर 2025 से नए प्रतिबंध लागू हो गए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी और नवंबर 2025 के बीच भारत ने चीन से लगभग 1,96,913 टन डब्ल्यूएसएफ का आयात किया, जबकि 2024 की इसी अवधि के दौरान यह 2,15,606 टन था। इस दौरान आयात में 8.7 प्रतिशत की गिरावट आई।
बहरहाल इसी अवधि के दौरान नॉर्वे से आयात 44,394 टन से करीब 62 प्रतिशत बढ़कर 71,906 टन हो गया। वहीं रूस से आयात में भारी उछाल आई और जनवरी से नवंबर 2024 के दौरान महज 7,463 टन आयात हुआ था, जो जनवरी से नवंबर 2025 में 25,636 टन हो गया। यह 243 प्रतिशत की वृद्धि है। इन दोनों देशों ने मिलकर चीनी आयात में आई गिरावट के अंतर को भर दिया। इसकी वजह से भारत के डब्ल्यूएसएफ फर्टिलाइजर का कुल आयात जनवरी-नवंबर 2024 के 4,09,144 टन से बढ़कर जनवरी-नवंबर 2025 में 4,45,286 टन हो गया, और इसमें 8.8 प्रतिशत की वृद्धि है।
डब्ल्यूएसएफ में कैल्शियम नाइट्रेट (सीएन), मोनो-अमोनियम फॉस्फेट (एमएपी), मोनो-पोटेशियम फॉस्फेट (एमकेपी), पोटेशियम नाइट्रेट (एनओपी), एनपीके (00-60-20 ग्रेड), एनपीके (12-11-18 ग्रेड), एनपीके (13-40-13 ग्रेड), एनपीके (18-18-18 ग्रेड) और सल्फेट ऑफ पोटाश (एसओपी) शामिल हैं।
हाल ही में उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में यह भी बताया कि डब्ल्यूएसएफ की आपूर्ति बनाए रखने के लिए भारतीय कंपनियों ने बेल्जियम, मिस्र, जर्मनी, मोरक्को और अमेरिका जैसे देशों से भी अपना आयात बढ़ाया है।
स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर्स, उर्वरक विभाग की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना से बाहर हैं। इस पर सब्सिडी नहीं मिलती है और कंपनियां अपनी जरूरत के मुताबिक इनके आयात के लिए स्वतंत्र हैं। फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ दिन पहले कहा था, ‘हमें पानी में घुलनशील उर्वरक पर चीन की सख्ती से किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ रहा है, क्योंकि घरेलू कंपनियों ने भी उत्पादन बढ़ा दिया है।’
आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 में जनवरी से नवंबर तक भारत ने लगभग 4,45,286 टन पानी में घुलनशील उर्वरक का आयात किया, जिसमें से चीन से लगभग 1,96,913 टन आया, जो कुल आयात का लगभग 44.2 प्रतिशत है। पिछले साल की इसी अवधि के दौरान इसकी हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत थी।
अक्टूबर और नवंबर 2025 में चीन की ताजा सख्ती लागू होने के बाद भारत ने लगभग 1,15,063 टन डब्ल्यूएसएफ का आयात किया, जो पिछले साल से 13.3 प्रतिशत कम है। इसमें चीन से 44,486 टन आया था, जो पिछले साल की इसी अवधि से 33.1 प्रतिशत कम है।
लेकिन नॉर्वे ने एक बार फिर अक्टूबर और नवंबर में निर्यात बढ़ाया और पिछले साल की समान अवधि से 204 प्रतिशत अधिक 35,442 टन उर्वरक भेजा। रूस ने 6209 टन डब्ल्यूएसएफ भेजा, जो 2024 में इसी महीने की तुलना में 123 प्रतिशत अधिक था। साफ है कि चीन से आयात घटने का इस दौरान कुल आयात पर कोई असर नहीं पड़ा।
यारा इंटरनेशनल साउथ-एशिया के प्रबंध निदेशक संजीव कंवर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘चीन से स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर की आपूर्ति में कमी से किसानों की उपलब्धता को लेकर कोई चुनौती नहीं आई। भारतीय फर्टिलाइजर उद्योग ने इस व्यवधान पर त्वरित प्रतिक्रिया दी और और वैकल्पिक स्रोतों, विशेष रूप से पश्चिम एशिया, यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया से आयात बढ़ा दिया। इसकी वजह से भारतीय किसानों को पूरे 2025 के दौरान स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर की पर्याप्त आपूर्ति हुई है।
इस व्यवधान से आयातकों को अपने आयात में विविधता लाने को प्रोत्साहन मिला है। इससे आने वाले वर्षों में अधिक प्रतिस्पर्धी और लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद मिलेगी।’
पानी में घुलनशील उर्वरकों को आसानी से पानी में मिलाया जा सकता है और ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर के माध्यम से इसका उपयोग किया जा सकता है। इससे ठोस उर्वरक नहीं बचता है और उत्पादन बढ़ाने में ये सहायक होते हैं।
उदाहरण के लिए डब्ल्यूएसएफ के इस्तेमाल से केले की खेती में पानी की खपत 35 प्रतिशत घटी है और प्रति हेक्टेयर 98,000 रुपये तक का मुनाफा बढ़ा है। इसी तरह टमाटर की खेती में इसके इस्तेमाल से पानी के उपयोग में 32 प्रतिशत की कमी आई है और प्रति हेक्टेयर 77,000 रुपये तक का मुनाफा बढ़ा है।
बहरहाल पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में महंगा होने के कारण पानी में घुलनशील उर्वरकों का भारत में इस्तेमाल की रफ्तार धीमी रही है।
सूत्रों ने कहा कि एक किलोग्राम पारंपरिक उर्वरक की कीमत लगभग 5 से 6 रुपये है, लेकिन एक किलोग्राम डब्ल्यूएसएफ की कीमत लगभग 80 से 100 रुपये है।
व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि चीन से यूरिया और डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के आयात पर अधिक असर पड़ा है।
वित्त वर्ष 2024 में भारत ने अपने कुल यूरिया आयात का लगभग 26.5 प्रतिशत चीन से आयात किया, जो वित्त वर्ष 2025 में घटकर केवल 1.8 प्रतिशत रह गया। इसी तरह वित्त वर्ष 2024 में भारत में आयातित कुल डीएपी में चीन की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2025 में घटकर 18.5 प्रतिशत रह गई है। यूरिया और डीएपी भारत में दो सबसे अधिक खपत होने वाले उर्वरक हैं।