सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने वित्त वर्ष 2026 में 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर के दौरान सरकार के डिजिटल फुटप्रिंट पर आधारित क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को 28,724 करोड़ रुपये स्वीकृत किए, जो नई प्रौद्योगिकी से संचालित ऋण देने की व्यवस्था की शुरुआती गति को दर्शाता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड को मिले आंकड़ों के अनुसार सरकारी बैंकों ने 7 महीने की अवधि के दौरान कुल 5,60,655 एमएसएमई ऋण आवेदनों की जांच की, जिनमें से 2,61,281 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई और 23,541 करोड़ रुपये ऋण दिया गया। लगभग 1,88,999 आवेदनों पर अभी काम चल रहा है, जिससे इस योजना के तहत चल रही गतिविधियों के संकेत मिलते हैं।
डिजिटल फुटप्रिंट पर आधारित क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल की घोषणा केंद्र के 2024-25 के बजट में की गई थी। यह एमएसएमई तक औपचारिक ऋण की व्यापक पहुंच में सुधार और गिरवी रखकर कर्ज दिए जाने वाले ऋण की हिस्सेदारी घटाने की व्यापक कवायद का हिस्सा है। औपचारिक रूप से इस मॉडल की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मार्च 2025 में की, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए तैयार इन-हाउस डिजिटल ऋण प्रणाली विकसित करने का आदेश दिया गया था।
बैंकों में ऋण आवेदनों की कुल अस्वीकृति दर लगभग 20 प्रतिशत रहीष इसमें क्रेडिट प्रोफाइल और डिजिटल आंकड़ों की उपलब्धता के आधार पर संस्थानों के आंकड़े अलग अलग हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे सरकारी बैंकों में तुलनात्मक रूप से अस्वीकृति दरें कम रही हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक जैसे ऋणदाताओं ने ज्यादा आवेदन अस्वीकार किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि अस्वीकृति स्तर से विवेकाधीन ऋण निर्णयों के बजाय डिजिटल डेटा द्वारा संचालित वस्तुनिष्ठ जोखिम मूल्यांकन के बारे में पता चलता है।
ढांचे के तहत बैंक वस्तु और सेवा कर फाइलिंग, आयकर रिटर्न, खाता एग्रीगेटर के माध्यम से एक्सेस किए गए बैंक खाते के विवरण और अन्य प्रमाणित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जैसे डिजिटल रूप से सत्यापन योग्य डेटा का उपयोग करके ऋण प्रस्तावों का आकलन करते हैं। इसका उद्देश्य डेटा से संचालित क्रेडिट स्कोरिंग के साथ लंबी कागजी कार्रवाई और व्यक्तिपरक आकलन से दूरी बनाना है, जिससे तेजी से और अधिक पारदर्शी तरीके से कर्ज देने के बारे में फैसले किए जा सकते हैं।