2008-09 के आम बजट में महिलाओं,अल्पसंख्यकों और बच्चों के उत्थान के लिए पिटारा खोल दिया गया है। इसमें महिला और बाल विकास मंत्रालय के एक कार्यक्रम ‘उवल’ के लिए आबंटित राशि में 24 प्रतिशत का इजाफा किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत लड़कियों की तस्करी को रोकने की योजना है। गैर-सरकारी संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय इकाइयों के द्वारा चलाए जा रही योजनाओं पर 9 करोड रुपये आबंटित किये गए हैं।
इस पूरे मद में पिछले साल 5,793 करोड़ रुपये आबंटित किए गए थे,जबकि इस साल यह राशि बढ़कर 7200 करोड रुपये हो गई है। इस आबंटन की अधिकतम राशि एकीकृत बाल विकास सेवाओं(आईसीपीएस) के क्षेत्र में खर्च होगी । इन सेवाएं के तहत नवजात बच्चों और ग्रामीण महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य देखभाल की जरुरतों पर निगरानी रखा जाता है। एकीकृत बाल विकास सेवा की इस बढ़ी हुई राशि से आंगनबाड़ी में काम करने वाले 6,284 मजदूरों और सहायकों के वेतन में भी वृद्धि होगी।
एकीकृत बाल संरक्षण कार्यक्रम(आईसीपीपी) के मद में भी 200 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों की सुरक्षा और सुरक्षित माहौल बनाने के मुद्दों पर बात करती है। उज्ज्वल और आईसी पीएस दोनों सिविल सोसाइटी के साथ गठजोड़ बनाकर काम करती है।
लड़कियों क ी सुरक्षा और उसकी जिंदगी बचाए रखने के लिए बजट में एक पायलट योजना-लड़कियों के लिए कंडीशनल कैश ट्रांसफर और बीमा ,के तहत 8 करोड रुपये आबंटित किए गए हैं। इस योजना के तहत गैर-सरकारी संगठनों की उस मांग को एक दिशा मिलेगी,जिसके अंतर्गत मादा भ्रूण हत्या को रोकने की कवायद जारी है। दरअसल मादा भ्रूण हत्या से देश के क ई भागों में लिंग अनुपात बिगड़ गया है।
इस बजट में अल्पसंख्यकों का भी खास ध्यान रखा गया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को इस बार 1000 करोड रुपये आबंटित किए गए हैं,जो पिछले बार क ी रकम से दोगुना है। ग्रामीण क्षेत्रों के 90 अल्पसंख्यक-बहुल जिलों के विकास के लिए 540 करोड रुपये का प्रावधान है। इससे जहां एक ओर अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार आएगा,वहीं दूसरी तरफ इनसे जुड़ा हुआ उद्योग भी लाभान्वित होगा। दरअसल 10 वीं योजना के तहत अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए सर्वेक्षण करवाया गया था। इसके बाद इन वर्गों क ी समस्याओं को खासा तरजीह देने की प्रक्रिया शुरु हो गई थी। इन योजनाओं को सच्चर समिति की सिफारिशों के आधार पर भी लागू किया गया है।
आदिवासी कल्याण मंत्रालय को इसबार कुछ ज्यादा ही तरजीह दी गई है। इस विभाग को पिछले साल के 503 करोड़ की तुलना में इस बार 805 करोड रुपये आबंटित किए गए हैं। इस तरह इसमें 61 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इस बजट में महिलाओं की शिक्षा पर आबंटन राशि को तीन गुना बढ़ाकर 60 करोड क़र दिया गया है। दरअसल आदिवासी लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर सबसे ज्यादा है। इस योजना के तहत आदिवासी बहुल क्षेत्रों में लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय खोलने का भी प्रावधान है।
इस बजट में लुप्त हो रही आदिवासी प्रजाति के लिए 173 करोड रुपये आबंटित किए गए हैं। कुछ जंगली उत्पादों जैसे तेंदु के पत्ते और इमली की रक्षा के लिए इस बजट में 40 करोड रुपये आबंटित किए गए हैं।
